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वीर सावरकर को उनके जन्म-तिथि पर स्मरण

 कल की परिचर्चा में दयाशंकर बाबू ने भारत के सच्चे सपूत वीर सावरकर को उनके जन्म-तिथि पर समरण करते हुए उनके बारे में कई जानकारियां दीं। उनके भाषण का सारांश- 1. वे लंदन में Bar at Law की परीक्षा पास की। लेकिन उन्हें कानून की डिग्री इसलिये नहीं मिली कि उन्होंने वहाँ की परम्परा के अनुसार सम्राट के प्रति प्रतिबद्धता की शपथ लेना स्वीकार नहीं किया। इससे अंग्रेजी सरकार बहुत नाराज हो गयी। 2. उन्होंने First Indian war of Independence 1957  नामक एक किताब लिखी जिसे अंग्रेजों ने छपने से पूर्व ही प्रतिबंधित कर दिया। उसके पूर्व अंग्रेज उसे सिपाही विद्रोह कहते थे। फिरभी उन्होंने उस किताब को हॉलैंड में छपवा कर उसकी कुछ प्रतियों को भारत भेजवा दिया। उस किताब का अनुवाद तमिल सहित कई भाषाओं में हुआ। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने उसका अनुवाद जापानी में करवाया था। इससे भी अंग्रेज काफी नाराज हो गये। 3. कुछ ही दिनों बाद एक भारतीय क्रांतिकारी मदन ढींगरा ने एक अंग्रेज अधिकारी की हत्या कर दी। उस मामले में षड़यंत्रकारी के आरोप में वीर सावरकर को आजीवन कारावास की सजा दी। 4. उन्हें जलजहाज से भारत भेजा जा रहा था कि उन्होंन