परिवार में लड़कियों और महिलाओं का आर्थिक योगदान
सभ्यता के प्रारम्भ में जब परिवार की अवधारणा साकार होने लगी और लोग खेती या पशुपालन करने लगे तब परिवार में श्रम-विभाजन होने लगा. धीरे-धीरे कालान्तर में परिवार के पुरुष सिर्फ कमाने का कार्य करते लगे जबकि खाना बनाने से लेकर घर सम्हालने का दायित्व महिलायें उठाने लगीं। धीरे-धीरे परिवार की स्थिति ऐसी हो गयी कि अगर परिवार की कोई महिला सदस्य बिमार पड़ जाय तो उसका कार्य करना दूसरों के लिये विशेषकर उस परिवार के पुरुष सदस्य के लिये कठिन हो जाता था. श्रम-विभाजन के मजबूत होने से परिवार भी मजबूत और खुशहाल होने लगा. इसी के विपरीत जिस परिवार में श्रम-विभाजन कमजोर रहा या परिवार का कोई सदस्य अपना दायित्व का निर्वहन ठीक से नहीं किया तो उस परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने लगी. इसी तरह बड़ा परिवार होने पर संयुक्त परिवार का निर्माण हुआ. महिलाओं के काम करने के कारण हजारों साल तक परिवार कलहविहीन रहा; समाज में शान्ति रही. दुनिया में सबसे ज्यादा लड़ाइयाँ लगभग डेढ़ सहस्त्राब्दी से लेकर द्वितीय विश्वयुद्ध तक हुई हैं. इन लड़ाइयों में बहुत ज्यादा पुरुषों के मारे जाने से बहुत दे देशों या समाजों में पुरुषों की