Posts

Showing posts from June, 2014

खाद्यान्न की खरीद, उसके भण्डारण और वितरण हेतु एक छोटा कदम!

    हमारे देश में खाद्यान्नों की खरीद, उसके भण्डारण और वितरण की व्यवस्था Food Corporation of India द्वारा किया जाता है. अधिक अन्न उपजाने वाले किसान अपना धान गेहूं आदि अपने ट्रैक्टरों पर लाद कर FCI के खरीद केन्द्र तक ले जाते हैं और वहाँ उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है. बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ किसान बताते हैं कि उन्हें FCI के बाबू लोगों से काफी आरजू-मिन्नत भी करनी पड़ती है और दलालों का सामना भी करना पड़ता है. कभी-कभी तो उन्हें MSP से भी कम दाम पर अपना खाद्यान्न बिचौलियों के हाथों बेंचना पड़ता है.     इस व्यस्था से पीड़ित अधिकांश किसान अपना खाद्यान्न साहूकारों के हाथों बेंचते हैं या अपना खाद्यान्न निकट के चावल/आटा मीलों के पास पँहुचा देते हैं और उन्हें पैसा बाद में लेने के लिए बुलाया जाता है. अन्ततः किसानों को इतनी परेशानियों के बाद भी उनकी अपेक्षा के अनुसार अपने खाद्यान्नों का मूल्य नहीं मिलता है तथा परिवहन आदि में अनावश्यक खर्च भी होता है.     सभी ग्राम पंचायतों में निचले सरकारी विद्यालयों में चलने वाले मध्यान्न भोजन हेतु चावल चाहिये। साथ ही वहाँ लाल/पीला कार्डधारियों आदि के लिये भ

Pollution और हमारी परिवहन प्रणाली

    इसमें अब कोई दो राय नहीं है की हमारी परिवहन प्रणाली जरुरत से ज्यादा प्रदुषण फैला रही है. मैंने राँची, पटना और लखनऊ की परिवहन प्रणाली नजदीक से देखी है. पटना और लखनऊ में मेट्रो सेवा की बात बहुत दिन से चल रही है. यह आलेख इन्ही शहरों की देखी हुई जानकारियों पर आधारित है. इन शहरों की परिवहन प्रणाली मुख्यतः निम्न भागों में विभाजित लगती है:- 1. टेम्पो परिवहन प्रणाली:-  राँची, पटना और लखनऊ की परिवहन प्रणाली का सबसे बड़ा भाग टेम्पो की सेवा है. टेम्पो मुख्य-मुख्य मार्गों पर ही चलते हैं. यदि किसी को एक निश्चित स्थान तक जाना है तो उसे टेम्पो रिज़र्व करना पड़ता है, जिसका किराया अधिक होता है और प्रायः किराया के लिये मोल-भाव करना पड़ता है. अगर रिजर्व टेम्पो से रात में यात्रा करनी हो और वह भी अस्पताल या किसी डाक्टर के पास तो यात्रियों का शोषण ही होता है.     टेम्पो चालक यात्रियों से ज्यादा अपना ख्याल रखते हैं और वातावरण में डीजल/पेट्रोल की धुआँ छोड़कर पर्यावरण को सबसे ज्यादा प्रदूषित कर रहे हैं. यहाँ यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इन तीनो शहरों के अधिकांश लोग अपने घर से बाहर अपना समय टेम्पो पर ही बि

हमें अफगानिस्तान में सैन्य रूप से नहीं उलझना चाहिये

    अफगानिस्तान आर्थिक, व्यवसायिक और रणनीतिक रूप से एक महत्वपूर्ण देश है. यहाँ उच्च कोटि के अफीम और सूखे स्वादिष्ट फल बहुतायत से उपजाये जाते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि अफगानिस्तान में बड़ी मात्रा में Rare Earths मिल सकते हैं. लेकिन व्यंग्य की भाषा में अब इन्हे Unobtanium कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। उन्नीसवीं शताब्दी में रूसियों ने अपने व्यापार को बढ़ाने के लिये आमू दरिया के उद्गम स्थल तक रास्ता साफ करते हुए अपने जल-यान लाने का काफी प्रयास किया था. उसी के समानान्तर अंग्रेजों ने भी अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करने का प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं पायी। लेकिन तब जबकि अफगानिस्तान की दक्षिणी-पश्चिमी सीमा अरब सागर से मिलती थी वह सिमट कर समुद्र से दूर हो गयी. अभी भी समुद्री सीमा के बिना ही वहाँ समुद-तट का विभाग अस्तित्व में है. जापान आदि देश अफगानिस्तान में पूर्ण शान्ति चाहते हैं ताकि पूर्वी एशिया से यूरोप तक अफगानिस्तान होते हुए एक व्यवसायिक रेल और सड़क मार्ग बनाया जा सके.        अफगानिस्तान एक ऐसा देश है जहाँ विदेशी अपने सैनिक सैंकड़ों साल से भेजते रहे हैं. हाल का इतिहास सोवियत फ़ौज का रहा है. सोविय