Posts

Showing posts from 2022

यूक्रेन युद्ध रोका जाना चाहिये

 आज यूक्रेन युद्ध अपने 300वां दिन में प्रवेश कर गया है। ट्विटर समाचारों के अनुसार अब तक यूक्रेन के एक लाख से अधिक काल कलवित हो चुके हैं। रूस को भी धन जन हानि हुई ही होगी।लगभग एक करोड़ यूक्रेनी अपने देश से पलायित कर गए हैं। यूक्रेन के आधारभूत संरचनाओं और मकानों की व्यापक क्षति हुई है। इतनी क्षति के पश्चात भी इस युद्ध के रुकने के लक्षण नहीं दिख रहे हैं। इस युद्ध का ऊर्जा के क्षेत्र में विश्वव्यापी नकारात्मक प्रभाव पढ़ रहा है। महंगी ऊर्जा विश्वव्यापी महंगाई भी बढ़ा रही है। थोड़ा-बहुत महंगाई का असर हमारे देश पर भी पड़ रहा है। लगभग पूरा यूरोप और यूक्रेन बर्फीली सर्दी झेल रहा है। इस विनाशकारी युद्ध को रोकने के कोई सार्थक प्रयास होते भी नहीं दिख रहा है। हमारे देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यह युग युद्ध का नहीं है। इस कथन को विश्व के कई बड़े नेताओं ने कई बार इसे उद्धृत किया है।  अब तो यूक्रेन युद्ध के विस्तार का भी खतरा है। न्यूक्लियर युद्ध की धमकी भी दी जा रही है। युद्ध का विस्तार किसी के पक्ष को लाभ नहीं पहंचावेगा। जब यह सर्वमान्य रूप से निश्चित है कि न्यूक्लियर बमों का

क्रांतिकारी टेस्ला सेमी ट्रक का प्रभाव

Image
लम्बे समय की प्रतीक्षा के बाद दिनांक दो दिसम्बर 2022 के सुबह(अमेरिका में दिनांक एक दिसम्बर) में टेस्ला कम्पनी ने अपना सेमी ट्रक की बिक्री प्रारम्भ कर दिया। पहला सेमी ट्रक का क्रेता बना प्रसिद्ध कम्पनी पेप्सी। इस बैटरी चालित ट्रक का प्रोटोटाइप टेस्ला कम्पनी के सीईओ एलन मस्क ने नवम्बर 2017 को प्रदर्शित किया था। उन्होंने उस समय बताया था कि वर्ष 2019 में यह उपभोक्ताओं को उपलब्ध हो जायेगा। लेकिन बार बार समय टलने के आज यह भारी बैटरी चालित ट्रक बाजार में आ ही गया। उस समय इस ट्रक की जो विशेषतायें बतायी गई थी वे सब किसी सपने से कम नहीं थीं। इसकी कुछ प्रमुख विशेषतायें इस प्रकार हैं - 1. माल सहित वजन - 80,000 पाउंड 2. फुल चार्ज में एक बार में पूर्ण वजन के साथ 500 मील की लम्बी यात्रा। 3. एक माइल चलने का खर्च दो kwh से भी कम। अब तो इसे 1.7 kwh/mile बताया जा रहा है। इसमें सुधार की भी सम्भावना है। 4. मेगा चार्जर से 400 मील चलने के योग्य मात्र आधा घंटा में चार्ज हो जायेगा। 5. सेमी ट्रकों में लगने वाली बिजली पूर्ण रूप से सोलर पावर से उत्पादित बिजली होगी। 6. पांच सौ मील तक एक फुल चार्ज में यात्रा पूरा क

दूर देश की एक अधूरी कहानी

  एक दूर देश के आखिरी कोर्ट में एक अजीब मामला आया। उस मामले में मांग की गई थी कि जनहित में महिलाओं को चप्पल पहनने से रोका जाये। ऐसा इसलिये कि सैंडल की जगह चप्पल पहनने से लोगों को परेशानी होती है। इसी बीच मेरे एक शुभ चिंतक ने बताया की दूर देश की कोई कहानी लिखने पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। उस शुभ चिंतक ने मुझे सलाह दी कि " यदि शांति से जीना चाहते हो तो शत्रु, रोग और ऋण को सदैव कम करते रहो।" इसके साथ ही उसने एक लिंक भी दिया। उस लिंक को खोलने पर "बारूद की एक ढेर पर बैठी है यह दुनिया......"शीर्षक से एक पुराना 1954 का गाना बज रहा था। मैं कन्फ्यूज हो गया। पाठकों से विनती है कि इस अधूरी कहानी को पढ़ कर आप कन्फ्यूज न हों।  

Energy War भाग - 1(प्राकृतिक गैस)

Image
 Energy War का एक पहलू - प्राकृतिक गैस। कहा जाता है कि अभी विश्व में आयातित प्राकृतिक गैस की खपत प्रतिवर्ष लगभग दो हजार bcm अर्थात अरब घन मीटर है। इसमें से लगभग चार सौ बीसीएम प्राकृतिक गैस की खपत यूरोप में प्रतिवर्ष होती है। यूरोप प्रतिवर्ष लगभग 155 बीसीएम प्राकृतिक गैस रूस से खरीदता था। ये सभी गैस रूस से पाइप लाइन से आता था। पाइप लाइन से आपूर्ति यूक्रेन युद्ध के चलते अभी बंद है। इसकी भरपाई हेतु पांच एलएनजी टैंकर यूरोप को प्रति दिन चाहिए। इसके अलावे एक एलएनजी टैंकर को दुबारा एलएनजी लाने में औसतन बीस दिन लगते हैं। चूंकि एलएनजी टैंकर रातों रात बनाया नहीं जा सकता अतः एलएनजी टैंकर की कमी से प्राकृतिक गैस का मूल्य बढ़ने की प्रबल सम्भावना है। आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है। जब प्राकृतिक गैस महंगा होगा तो वैज्ञानिक और इंजीनियर उसके विकल्पों के विकास में तेजी से लग जायेंगे। यही मानव सभ्यता की परम्परा रही है। प्राकृतिक गैस के कुछ विकल्प - 1. कोयला 2. सोलर पावर 3. Wind Power 4. Pumped Hydro electric 5. हाइड्रोजन। इसके अलावा सदाबहार लकड़ी तो है ही। कोयला के पूर्व तो लोग लकड़ी जलाकर ही तो खाना बन

थॉमसन हिरण और आठ चीते

Image
        In lighter mood कूना पार्क में छोड़े गये आठ चीतों पर कुछ विशेष बातें:- 1. इनमें से कोई भी उस अभयारण्य का घास पात नहीं खा रहा है। अर्थात वे सब चीते शाकाहारी नहीं हैं। 2. उन चीतों को खाना बनाना भी नहीं आता। यदि ऐसा होता तो वे सब कम से कम मैगी आदि फास्ट फूड बनाकर खा लेते। इस तरह मैगी आदि खाकर अपना भूख तो मिटा ही सकते थे। 3. उन सबों को शिकार करने नहीं आता। यदि उन चीतों को शिकार करने आता तो उनको खाने के लिए छोड़े गए बकरे और हिरण अभी तक सभी के सभी सकुशल उन चीतों के सामने ही स्वच्छंद विचरण नहीं करते रहते। 4. अब विशेषज्ञ बता रहे हैं कि कूना पार्क में उन चीतों के स्वच्छंद विचरण हेतु उतना क्षेत्र नहीं है जितना उनके मातृभूमि तंजानिया या जांबिया में होता है।  5. विश्व का चौथा सबसे तेज भागने वाला पशु थॉमसन हिरण कूना पार्क में नहीं पाया जाता और न ही उन्हे वहां लाया ही गया है। इस प्रजाति का हिरण चीतों का सबसे प्रिय भोज्य पशु होते हैं। जब चीते कूना पार्क में विश्व के चौथे सबसे तेज धावक थॉमसन हिरण को दौड़ायेगा ही नहीं; दौड़ा दौड़ा कर उन्हे पकड़ का अपना शिकार बनायेग  नहीं तो इन चीतों को लोग वि

न्याय पाने के कठिन रास्ते भाग 1

Image
हाल की कुछ घटनायें इस विषय पर चर्चा करने के लिए प्रेरित करती हैं। जैसे ~ 1. रक्षित नाम के एक व्यक्ति ने किसी आरक्षित व्यक्ति से परेशान हो कहीं से भी न्याय पाने में निराश होकर अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर ली। 2. इलाहाबाद HC ने कुछ वकीलों की याचिका पर SC/ST Act के संगठित दुरुपयोग की जांच हेतु सीबीआई को आदेश देना। 3. एक वरीय भाजपा नेता पर यौन उत्पीडन के एक मामले में चार वर्ष बीत जाने के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं होना। आदि वर्तमान न्याय व्यस्था का इतिहास 1860 से प्रारम्भ होता है। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को कुचलने में अंग्रेजों द्वारा मानवाधिकार की सारी सीमाएं लांघने पर ब्रिटेन की दुनिया भर में किरकिरी हुई थी। ब्रिटिश सरकार ने भारत में कार्यरत कम्पनी सरकार से सत्ता अपने हाथ में लेकर बहुत से कानून बनवाये थे। लेकिन उनके बनाये सभी कानूनों का एक ही उद्देश्य था कि किसी तरह भारतीयों को कानून के जाल में उलझाकर रखा जाए। आज भी हमलोग उन्ही कानूनों को ढो रहे हैं।  अभी अपने देश के विभिन्न न्यायालयों में लगभग पांच करोड़ मामले लम्बित हैं और यह संख्या प्रति वर्ष बढ़ती ही जा रही है। इसका एक अर्थ यह भी हुआ कि

डपोरशंख की राजनीति

एक समय की बात है एक निर्धन व्यक्ति की सेवा से प्रसन्न होकर एक ऋषि ने उसे एक शंख देकर उसे गृहस्थ आश्रम में लौट जाने को कहा। ऋषि ने उस शंख की विशेषता बताई कि इससे जो मांगोगे वह मिल जायेगा। शंख लेकर वह व्यक्ति अपने घर लौट आया। समय समय पर वह व्यक्ति अपनी आवश्यकतानुसार जो मांगता था। वह उसे मिल जाता था। अब उस निर्धन व्यक्ति की गृहस्थी मजे में चलने लगी। इस शंख की चर्चा धीरे धीरे फैलते हुए स्थानीय राजा के पास पंहुच गई। एक दिन राजा के आदमी व्यक्ति को उसके शंख के साथ पकड़ कर अपने राजा के पास ले गए। राजा ने उस शंख से कुछ मांगा। अपनी विशेषता शंख ने मांगी गई वस्तु को उपलब्ध करा दिया। राजा के मन में लालच जागी और राजा ने उस शंख को राजा को देने का आदेश दिया। चूंकि वह शंख उस व्यक्ति का जीवन का आधार बन गया था अतः उसने शंख देने से इंकार कर दिया। राजा ने उस व्यक्ति को इतना डराया कि उसे शंख को राजा को देना ही पड़ा।  दुखी होकर वह व्यक्ति अपने घर लौट आया। उसे विचार आया कि इसकी सूचना ऋषि को देनी चाहिए। शीघ्र ही एक दिन उसने ऋषि के पास जाकर सारी बात बता दी। ऋषि ने कहा कि कोई बात नहीं है और ऋषि ने उस व्यक्ति को

दो लंगोटिया मित्र का वार्तालाप

वर्तमान राजनीति पर एक हास्य कथा। दो नेता मित्रों की चर्चा प्रायः होते रहती है। प्रस्तुत है उन दोनों मित्रों की अंतरंगता के साथ काल्पनिक वार्तालाप। पहला मित्र: ~ हमारे पास देश की प्रगति का एक अच्छा तरकीब है। दूसरा मित्र: ~ बताओ अपनी तरकीब। हम भी तो तुम्हारे उस तरकीब को समझें। पहला मित्र: ~ जब हम लोगों का भारत पर राज हो जायेगा तब हम अमरीका पर आक्रमण कर देंगे। सैन्य शक्ति के रूप में अमरीका हमारे देश से तो मजबूत है ही। वह हमारे देश को जीतकर अपना इकावनवा राज्य बना लेगा। अमरीका तो लगातार तरक्की करते ही रहता है; वह हमारे देश को भी विकसित कर देगा। कल्पना कीजिए उस स्थिति का। हमारे देश का करेंसी भी मजबूत डॉलर होगा, वहां जाने के लिए कोई वीजा की आवश्यकता नहीं होगी। दुनिया भर में हमारे नागरिकों का अमरीकी नागरिक के रूप में कितना सम्मान बढ़ जायेगा। दूसरा मित्र उदास हो गया। पहले मित्र ने उनसे उदासी का कारण पूछा। दूसरे ने बताया कि बताओ यदि युद्ध में अमरीका हमारे देश से हार गया तब क्या होगा? पहला मित्र: ~ अरे भाई, यह तो बहुत ही अच्छा हो जायेगा। जब हमारा देश जीत जायेगा तब हम पूरे अमरीका में भी आरक्षण लाग

रामपुर/आजमगढ़ का चुनाव: एक विश्लेषण

Image
गत रविवार को जो रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र के जो परिणाम आए उसमें दोनों में भाजपा विजयी हुई। लेकिन आश्चर्यजनक रूप भाजपा की जीत के बजाय सपा की हार की चर्चा सोशल मीडिया पर अधिक हो रही है। उन दोनों क्षेत्रों में घटनाक्रम इस प्रकार रहे। 1. भाजपा के दोनों प्रत्याशी वर्ष 2019 से ही क्षेत्र में भ्रमणशील रहे। जबकि सपा के दोनों प्रत्याशी टपके हुए करार दिए गए। 2. आजमगढ़ से बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली को अपने दुख सुख में शामिल रहने वाला मान लिया गया। इनके पक्ष में मुसलमानों की गोलबंदी होने लगी।  3. अभी फोन का जमाना है दोनों क्षेत्र के लोगों के बीच उक्त गोलबंदी की बात फैलने लगी। इस गोलबंदी की जानकारी यादव बहुल गांवों में पहुंची तो इसकी प्रतिक्रिया होने लगी। यादव लोगों को लगा कि  बसपा को जीतने से अच्छा है भाजपा के *निरहुआ* जीतना अधिक अच्छा है। इस कारण बहुत से यादव निरहुआ के पक्ष में गोलबंद होने लगे। 4. यादवों की इस गोलबंदी और कमजोर प्रत्याशी के चलते रामपुर के मुसलमानों के गांवों में निराशा के बादल छाने लगे। 5. इस परिस्थिति में रामपुर के कुछ यादव उदास हो गए और अधिकांश भाजपा की ओर मुड़ गए। 6. जैस

अग्निवीर रोजगार उपल्ब्ध भी करा सकते हैं

Image
 दिनांक 21.06.2022 की हमारी परिचर्चा में पूर्व निर्धारित विषय अग्निवीरों के सम्मानजनक पुनर्नियोजन पर चर्चा हुई। इस विषय पर आज देशभर में आशंका व्यक्त की जा रही है। कुछ लोगों का कहना है कि अग्निवीरों की पदावनती हो जायेगी जबकि कुछ लोगों का कहना है कि बहुत से अग्निवीर बेरोजगार हो जायेंगे। पदावनती अर्थात उन्हे कम महत्व और कम वेतन/भत्ता पर नौकरी मिलेगी या उन्हे कोई रोजगार मिलेगा ही नहीं। चूंकि ये दोनों प्रश्न या आशंकाएं विशुद्ध काल्पनिक हैं अतः इनके उत्तर या समाधान भी विशुद्ध रूप से काल्पनिक ही होंगे।  अब माना जाता है कि अग्निवीरों को 120 कार्य दिवस का बेसिक प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें  1. टीम में कार्य करना 2. संविधान के अनुच्छेद 51A में बताए गये नागरिकों के मूल कर्तव्य। 3. Trust and Responsibilities 4. How to establish a Company आदि का भी प्रशिक्षण दिया जायेगा। जब वे इसी तरह के अन्य विधाओं की जानकारी साथ वे समाज में लौटेंगे तब माना जाता है कि वे हम उम्र सामान्य युवकों से अधिक दक्ष होंगे। मान लिया कि बीस पच्चीस अग्निवीर और साथ में हाल ही में सेवा निवृत्त सेना अधिकारी साथ मिलकर कोई कम्पनी बना

भूमि व्यवस्था और लगान: प्राचीन काल से अबतक

Image
 सभ्यता के विकास के क्रम में वर्ण व्यवस्था बनी। लोग बिना किसी परेशानी के अपने कर्म के अनुसार जीवन बिता रहे थे। किसी एक समाज में किसी वस्तु का उत्पादन अधिक और किसी दूसरे समाज में कम। तब वणिक वर्ग की उत्पत्ति हुई। वणिक वर्ग ने उपभोक्ता वर्ग की पहचान कर व्यापार प्रारम्भ किया। कालांतर में एक और वर्ग बन गया। यह वर्ग था लुटेरा वर्ग। लुटेरा वर्ग से वणिक और उत्पादक दोनों वर्ग परेशान रहने लगे। कहा जाता है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। तब तत्कालीन प्रबुद्ध लोगों ने आपसी विचार विमर्श, चर्चा और शास्त्रार्थ कर समाज के किसी शक्तिशाली व्यक्ति को शासक बनाने का सुझाव दिया। इस सुझाव को अंततः लोगों ने मान लिया। उस शासक को राजा भी कहा जाने लगा। वणिक और उत्पादक वर्ग को लुटेरों से सुरक्षा प्रदान करना ही राजा का कर्तव्य बना। बाद में इसी के समानांतर लुटेरों ने भी अपने किसी शक्तिशाली लुटेरा को अपना राजा मान लिया। अब राजा के शासन के खर्च को चलाने हेतु कर लगाया जाने लगा। कर प्रणाली से समाज रहा। धीरे धीरे कर प्रणाली की व्यवस्था बनने लगी। इसने कई परम्पराओं को जन्म दिया। हमारा देश तो प्रारम्भ से कृषि प्रधान म

Accomplice or Approver या वादामाफी गवाह

Image
स्मरण कीजिये बिहार का प्रसिद्ध  चारा घोटाला मामला। सीबीआई ने एक आपूर्तिकर्ता दीपेश चांडक को approver बनाया था। दीपेश चांडक की गवाही से ही उस बहु चर्चित चारा घोटाला में बड़े-बड़े आरोपियों को सजा हुई थी। कल दिनांक 02.06.2022 को पुनः एक प्रसिद्ध पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाज़े को न्यायालय ने इस शर्त पर वादामाफी गवाह बनने की अनुमति प्रदान कर दी कि वह चर्चित सौ करोड़ की वसूली काण्ड में कुछ छिपायेगा नहीं और सबकुछ सही सही बता देगा। इससे इस चर्चित मामले में एक नया मोड़ आ गया है। यदि उसने अपने वादे के अनुसार उस मामले में अपनी और बड़े-बड़े प्रभावशाली लोगों की भूमिका के बारे में सही-सही बता दिया तो एक भूचाल आ जायेगा। तब उस मामले में ऐसे-ऐसे बड़े लोग सलाखों के पीछे चले जा सकते हैं जिनके बारे में ऐसा होना कल्पना से परे है। वादामाफी गवाह बनने के बारे में दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 306 में प्रावधान है। ऐसी गवाही या आरोपी का स्वीकारात्मक बयान जिसमें साक्षी अपनी पापी भूमिका बताते हुए अन्य बड़े प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता को बताता है भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 133 में एक सुसंगत तथ्य है।  आखिर लोग व

हमारे सार्वजनिक उपक्रम/संस्था के पड़ुआ बैल

Image
 एक दिन की परिचर्चा में एक सज्जन ने एक उदाहरण दिया। "एक किसान ने मेला से एक बाछा लाकर उसे पाला पोसा। बैल बनने पर वह बाछा पड़ुआ  निकल गया। उसके पास इतना संसाधन भी नहीं था जिससे कि वह उस पड़ुआ बैल के स्थान पर एक नया बैल खरीद सके। इससे वह किसान बहुत परेशान रहने लगा क्योंकि इससे उसकी खेती बाधित होने लगी। किसान का एक बैल पड़ुआ जरूर था लेकिन वह खाने-पीने में कभी भी पीछे नहीं रहता था। वह पड़ुआ बैल देखने में हट्टा कट्ठा था। किसान उसके कल्याण में कोई कमी नहीं रखता था। कुछ वर्ष बाद उसका एक बेटा जवान हो चला था। उसने अपने एक मित्र के पिता से निहोरा कर उनका एक बैल मांग कर लाया और अपनी खेती करने लगा। बदले में वह अपने मित्र के खेतों में मजदूरी भी कर देता। इससे दोनों परिवारों की समृद्धि बढ़ने लगी। यही स्थिति हमारी सरकारी कंपनियों की है।" सरकारी कंपनियों/संस्थाओं के कामगारों की तुलना उक्त पड़ुआ बैल से करने और उसके स्थान पर outsourced बैल से खेती कराये जाने पर परिचर्चा के एक दूसरे प्रतिभागी भड़क गये। तल्खी इतनी बढ़ी कि परिचर्चा को बंद करना पड़ा। अब बहुत से लोग उक्त तुलना को सही और सटीक बता रहे हैं। किस

महंगाई के लाभ(एक हल्का व्यंग्य)

Image
यद्यपि कि महंगाई पर लोग अधिक रोते ही हैं: शिकायत करते रहते हैं लेकिन महंगाई के कुछ लाभ भी हैं। 1. व्यक्ति को होने वाले लाभ: जब आमदनी स्थिर हो जाये तब महंगाई से निपटने हेतु या तो कुछ कमाने का यत्न करना पड़ेगा या बचाने का। कमाने हेतु जड़ता त्यागनी पड़ती है। विज्ञान का नियम भी है कि चाहे स्थितिक जड़ता हो या गतिशील जड़ता उसकी अवस्था परिवर्तन हेतु बल का उपयोग करना पड़ता है। परिवार के जो सदस्य स्थितिक जड़ता में हों कमाने हेतु बल लगाकर गतिशील जड़ता में चले जायेंगे तो फिर उनकी आमदनी बढ़ जायेगी। व्यक्ति अपने उपलब्ध जमीन/गमला में गार्डेनिंग तो कर ही सकता है। यदि जब व्यक्ति कुछ बचाने हेतु वाह्य खाने पीने में कमी करेगा या कुछ दूर की दूरी पैदल ही चलकर कुछ पैसा बचायेगा तो उसके परिवार में चिकित्सा बिल में भी काफी कमी आ जायेगी। 2. व्यवसायी को होने वाले लाभ: महंगी से व्यवसायी के द्वारा प्रदत्त सेवा या वस्तु के मूल्य भी बढ़ जाते हैं। अर्थात स्वतः लाभ होने लगता है। दूसरी तरफ व्यवसायी बिना मूल्य बढ़ाये प्रतिस्पर्धात्मक होकर भी अपना लाभ बढ़ा सकता है। इसके अलावे उनके स्टॉक में पड़े माल का मूल्य तो अपने आप ब

यूपी का एक चुनावी विश्लेषण

Image
 अभी चुनावी विश्लेषणों और एग्जिट पोल का समय चल रहा है। यहाँ प्रस्तुत है कुछ लोगों के लोगों से प्राप्त सुनी-सुनायी बातों और स्विंग विधि पर आधारित एक चुनावी विश्लेषण।  1. पिछला चुनाव अर्थात वर्ष 2017 में समाजवादी पार्टी के अत्यधिक प्रभाव वाले बूथों पर कुछ बोगस मतदान हुए थे। ऐसा इसलिये कि प्रायः तैनात सभी पार्टियों के एजेंट आपस में मिल गये थे। पोलिंग पार्टी और पुलिस पार्टी के लोग भी प्रभावित होकर परोक्ष रूप से बोगस मतदान पर अपनी आंखें बंद कर लिये थे। इस बार ऐसा नहीं हुआ है। इससे समाजवादी पार्टी को पिछली बार की तुलना में लगभग दो प्रतिशत मतदान में कमी आने का अनुमान है। 2. इस बार बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस पार्टी के पक्ष में कम मतदान हुआ है। ऐसे में इन दोनों पार्टियों के मुस्लिम मतदाता समाजवादी पार्टी को और हिन्दू मतदाता भाजपा के तरफ मतदान करने की बात कही जा रही है। इस बिखराव से भाजपा को दो प्रतिशत लाभ हो सकता है। 3. वर्ष 1967 से ही राजपूत मतदाता दो-तीन पार्टियों में बंटे रहे हैं। पहली बार 80% से ऊपर राजपूत मतदाता भाजपा के पक्ष में मतदान कर रहे हैं। इस कारण पूर्व की तुलना में भाजपा को तीन

यूक्रेन-1

Image
 बीते मध्यरात के बाद ही मेरी नींद खुल गयी। बहुत दिनों के पश्चात रात में सोशल मीडिया देखने लगा। मेरी दृष्टि एक फोटो पर पड़ी। उस फोटो में यूक्रेन युद्ध में मारे गये एक सैनिक के अपनी माँ के साथ किये गये अंतिम समय के चैट का उल्लेख था। चैट बहुत ही मर्मस्पर्शी था। पहले मुझे यह एक प्रोपगैंडा लगा लेकिन उसमें एक वेब पता अंकित था।  मैंने उस वेब पता को खोला तो वह UNGA में गत रात की बैठक का वीडियो था। मैंने उस वीडियो को आगे-पीछे करके यूक्रेन के प्रतिनिधि का भाषण देखा। उसी वीडियो में उस मृत सैनिक के स्मार्टफोन से लिये गये एक उक्त चैट का उल्लेख है। आप भी उसे media.un.org पर जाकर उसके 45वें मिनट से देख सकते हैं। मुझे लगता है यूक्रेन युद्ध किसी सनक की उपज है। इस युद्ध में न्यूक्लियर बम से लाखों यूक्रेनी के मारे जाने के पश्चात भी यूक्रेन की हार की सम्भावना बहुत कम है। यह इसलिये कि जेलेन्सकी ने अपने राष्ट्र के चार करोड़ चालीस लाख लोगों में से लगभग दो करोड़ लोगों को अपने बच्चों के भविष्य के लिये लड़ते हुए मरने के लिये राजी कर लिया है। उनलोगों से लड़कर कोई जीत की उम्मीद क्या कर सकता है जो मरतेदम तक मरने-मारने

ऑप्टिमस और शैतान रोबोट

Image
 ऑप्टिमस का अर्थ है उत्तम श्रमिक रोबोट या आदर्श श्रमिक रोबोट। ऑप्टिमस की ऊंचाई 5'8" और वजन 57 किलो ग्राम होगा। यह आठ किलो मीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से दौड़ सकता है। यदि ऑप्टिमस अपने मालिक की इच्छा के विरुद्ध कार्य करे तो उसे आसानी से नियंत्रित कर किसी जानवर की तरह उसके खूंटे में बांधा जा सकता है। ऑप्टिमस से बचने का आसान तरीका उससे भाग कर भी आप उससे दूर हट सकते हैं। जबकि शैतान रोबोट को नियंत्रित कर पाना या उससे भाग पाना अत्यंत ही कठिन कार्य होगा। ऑप्टिमस से बड़ी उम्मीदें हैं। यह मानव जीवन को सुगम और आसान बनावेगा। ऑप्टिमस हमारे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में विशेषकर विषम परिस्थितियों में भी सुगमता और दक्षता के साथ कार्य कर सकेगा। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि जो रोबोट ऑप्टिमस नहीं है वह शैतान रोबोट है। पूरे विश्व में शैतान रोबोट के विकास और विनिर्माण पर रोक लगनी चाहिये। 

नेताजी का ऑनलाइन चुनाव-प्रचार

पहले सामान्य लोगों को जब अपनी पीड़ा बताने हेतु विधायक महोदय के पास जाना पड़ता था। वहाँ पीड़ितजनों को बहुत ही मुश्किल से विधायक महोदय से भेंट हो पाती थी। फिर दूरसंचार क्रांति हुई और फोन सुलभ और सस्ता हो गया। अब पीड़ितजन फोन पर विधायक महोदय को अपनी पीड़ा बताने का प्रयास करने लगे। लेकिन कुछ सौभाग्यशाली पीड़ित को ही विधायक महोदय से बात हो पाती थी। इस समस्या में विधायक प्रतिनिधि नामक एक नया अवैतनिक पद का सृजन हुआ। फिर आया सोशल मीडिया का युग और पीड़ितजनों के हाथ में स्मार्टफोन नामक एक नया खिलौना आ गया। लेकिन विधायक महोदय कुछ और दूर होते चले गये। वे फीता काटने के फोटो, शुभकामना संदेशों, किसी समारोह में शामिल होने के फोटो आदि साझा करने में ही सिमट कर रह गये। अब आ गया कोरोना काल में चुनाव और चुनाव आयोग का नया फरमान। फरमान के अनुसार विधायक, पूर्व विधायक और विधायक बनने के आकांक्षी नेता को चुनाव प्रचार सोशल मीडिया पर ही करना है। अब आप ही सोचिये कि जो नेता सामान्य मतदाताओं से फोन पर बात नहीं करना चाहते थे या सोशल मीडिया पर मनमोहन सिंह बने रहे थे उन्हें उन्ही मतदाताओं से सम्पर्क करना है। क्या यह चुनाव सम्प