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Showing posts from November, 2013

इमरजेंसी में रसोगुल्ला का साइज़ छोट कर देना भी अपराध था!

     1976 के उत्तरार्द्ध में इमरजेंसी अपनी चरम सीमा पर थी। उसी समय एक दिन मोतिहारी(बिहार) के कचहरी में अजीब हलचल होने लगी. एक व्यक्ति ने सुना कि मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी के न्यायलय में एक अजीब मुकदमा आया है। एक मिठाईवाला दुकानदार पर "रसोगुल्ला का साइज़ छोट कर देने" के आरोप में वहाँ के आपूर्ति विभाग ने मुकदमा दायर किया है, लेकिन बहुत खोजबीन के बाद भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली।      एक सप्ताह बाद मोतिहारी कचहरी में पुनः खबर फैली कि आज "रसोगुल्ला का साइज़ छोट कर देने" का आरोपी न्यायालय में आत्मसमर्पण करने वाला है और वहाँ के नम्बर-एक वकील श्री बाबू उसका जमानत में बहस करने वाले हैं। पता चला कि "रसोगुल्ला का साइज़ छोट कर देने" के आरोप में धारा 69 DIR(Defense Of India Rule) में मोतिहारी के ही एक मिठाई दुकानदार पर आपूर्ति विभाग के निरीक्षक ने मुकदमा दायर किया है.      भीड़ बढ़ती जा रही थी। श्री बाबू ने आरोपी के तरफ से बहस प्रारम्भ किया। उन्होंने सबसे पहले आरोप पढ़ कर सुनाया। आरोप के अनुसार जिलाधिकारी, मोतिहारी ने Defense Of India Rule में प्रदत्त शक्ति के अनुसार

एक दादा का अपनी पोती के नाम पत्र

मेरी स्नेहमयी पोती वर्णिका!                                                                                 राँची, शुभ आशीर्वाद,     मेरे गाँव में एक बाबा थे। उनका घर स्कूल जाने के रास्ते में पड़ता था। वे हम सहपाठियों में से किसी न किसी को उसके व्यवहार या आचरण में कमी पाकर उससे उसके दादा का नाम पूछ लेते। एक-दो दिन बाद ही उनकी शिकायत गलती करनेवाले सह पाठी के दादा के पास पँहुच जाती। उनका कहना था कि बच्चों में संस्कार देने की जवाबदेही उसके दादा की होती है।     वे कभी हम सहपाठियों को डांटते नहीं थे, बल्कि कभी-कभी सीजन में आम या अमरुद खिला देते थे। कुछ ही महीनों में वे बाबा हम लोगों को अच्छे लगने लगे थे। एक दिन मेरी भी गलती पकड़ी गयी। मेरी गलती यह थी कि उस दिन मैं बिना स्नान किये स्कूल जा रहा था। वे बाबा मेरे दादा का नाम पूछ बैठे। इसपर मेरे सभी सहपाठी हंस पड़े। उक्त बाबा और मैं भी सहपाठियों के हंसी का राज नहीं समझ पा रहा था। इसी उधेर-बुन में मैं उनके सवाल का जवाब देना भूल गया। उन्होंने अपना सवाल मुझसे फिर दुहराया। मैंने तत्काल अपने दादा का नाम बता दिया। उनके हिसाब से मेरे नाम बतान

सुशासन में बढ़ता कुपोषण

    हमारा संविधान कहता है कि हमारा राष्ट्र "Welfare State" यानि "कल्याणकारी राज्य" होगा। सरकार ने इसी अवधारणा को साकार करने के लिये गरीबों के हित में बहुत सी कल्याणकारी योजनाएं चला रखी है. लेकिन अजीब बात है कि सुशासन में कुपोषण बढ़ता ही जा रहा है. ऐसा क्यों हो रहा है? इस ब्लॉग में इसी विसंगति का कारण खोजने का प्रयास किया जा रहा है.     दूध की कमी:- बच्चों के विकास में दूध का विशेष योगदान रहता है. जैसे-जैसे भारत से मांस का निर्यात बढ़ रहा है, वैसे-वैसे दूध का दाम भी बढ़ रहा है. तीव्र गति से बढ़ रही हमारी जन-संख्या भी दूध के मूल्य पर दबाव बढ़ा रहा है. हमारे कानून में दुधारू पशुओं और कम उम्र के गाय/बैल ऊंट आदि को काटना वर्जित है. अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कम उम्र के गाय/बैल ऊंट आदि के मांस का मूल्य भी अधिक मिलता है. लेकिन भ्रष्टाचार के कारण इस कानून की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है. कुपोषण को दूर करने हेतु दूध की कमी की पूर्ति बाज़ार में उपलब्ध महंगे दूध का पाउडर नहीं कर पा रहा है.     कृषि में बढ़ता मशीनीकरण भी किसानों के पास पशुओं की संख्या घटा रहा है. हर तरफ ट्रैक्टर

भारत की डूबती हुई प्रतिभा डा. वशिष्ट नारायण सिंह

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Dr Bashisht Nr Singh,  Photographed by the Author.       डा. वशिष्ट नारायण सिंह का जन्म बिहार राज्य के भोजपुर जिले के ग्राम बसन्तपुर में एक साधारण सिपाही के घर में हुआ था. ग्राम बसन्तपुर आरा से करीब 22 कि.मी उत्तर-पश्चिम में अवस्थित है. इन्होने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने गाँव में प्राप्त की. उसके बाद इनका दाखिला नेतरहाट में हुआ, जहाँ से ये उच्चतर माध्यमिक बोर्ड, बिहार  में प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए पास किये। B.Sc.-1 में इनका नामांकन साइंस कॉलेज, पटना में हुआ. तबतक वशिष्ट नारायण अपने सहपाठियों और गुरुओं के बीच गणित के कठिन प्रश्न को कई तरीकों से हल करने के लिये मशहूर हो चुके थे.        उसके कुछ ही महीने बाद PU के College of Engineering में गणित सम्मलेन का आयोजन किया गया था. उस सम्मलेन में विश्व प्रसिद्द गणितज्ञ डा. जॉन एल केली अमेरिका के कलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से पधारे थे. आयोजकों ने  वशिष्ट नारायण का परिचय डा. केली से कराया। उन्होंने वशिष्ट नारायण को कई कठिन प्रश्न हल करने को दिया। वशिष्ट नारायण की प्रतिभा से डा. केली बहुत प्रभावित हुए और तत्काल बर्कले आकर आगे की