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Showing posts from August, 2022

न्याय पाने के कठिन रास्ते भाग 1

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हाल की कुछ घटनायें इस विषय पर चर्चा करने के लिए प्रेरित करती हैं। जैसे ~ 1. रक्षित नाम के एक व्यक्ति ने किसी आरक्षित व्यक्ति से परेशान हो कहीं से भी न्याय पाने में निराश होकर अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर ली। 2. इलाहाबाद HC ने कुछ वकीलों की याचिका पर SC/ST Act के संगठित दुरुपयोग की जांच हेतु सीबीआई को आदेश देना। 3. एक वरीय भाजपा नेता पर यौन उत्पीडन के एक मामले में चार वर्ष बीत जाने के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं होना। आदि वर्तमान न्याय व्यस्था का इतिहास 1860 से प्रारम्भ होता है। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को कुचलने में अंग्रेजों द्वारा मानवाधिकार की सारी सीमाएं लांघने पर ब्रिटेन की दुनिया भर में किरकिरी हुई थी। ब्रिटिश सरकार ने भारत में कार्यरत कम्पनी सरकार से सत्ता अपने हाथ में लेकर बहुत से कानून बनवाये थे। लेकिन उनके बनाये सभी कानूनों का एक ही उद्देश्य था कि किसी तरह भारतीयों को कानून के जाल में उलझाकर रखा जाए। आज भी हमलोग उन्ही कानूनों को ढो रहे हैं।  अभी अपने देश के विभिन्न न्यायालयों में लगभग पांच करोड़ मामले लम्बित हैं और यह संख्या प्रति वर्ष बढ़ती ही जा रही है। इसका एक अर्थ यह भी हुआ कि

डपोरशंख की राजनीति

एक समय की बात है एक निर्धन व्यक्ति की सेवा से प्रसन्न होकर एक ऋषि ने उसे एक शंख देकर उसे गृहस्थ आश्रम में लौट जाने को कहा। ऋषि ने उस शंख की विशेषता बताई कि इससे जो मांगोगे वह मिल जायेगा। शंख लेकर वह व्यक्ति अपने घर लौट आया। समय समय पर वह व्यक्ति अपनी आवश्यकतानुसार जो मांगता था। वह उसे मिल जाता था। अब उस निर्धन व्यक्ति की गृहस्थी मजे में चलने लगी। इस शंख की चर्चा धीरे धीरे फैलते हुए स्थानीय राजा के पास पंहुच गई। एक दिन राजा के आदमी व्यक्ति को उसके शंख के साथ पकड़ कर अपने राजा के पास ले गए। राजा ने उस शंख से कुछ मांगा। अपनी विशेषता शंख ने मांगी गई वस्तु को उपलब्ध करा दिया। राजा के मन में लालच जागी और राजा ने उस शंख को राजा को देने का आदेश दिया। चूंकि वह शंख उस व्यक्ति का जीवन का आधार बन गया था अतः उसने शंख देने से इंकार कर दिया। राजा ने उस व्यक्ति को इतना डराया कि उसे शंख को राजा को देना ही पड़ा।  दुखी होकर वह व्यक्ति अपने घर लौट आया। उसे विचार आया कि इसकी सूचना ऋषि को देनी चाहिए। शीघ्र ही एक दिन उसने ऋषि के पास जाकर सारी बात बता दी। ऋषि ने कहा कि कोई बात नहीं है और ऋषि ने उस व्यक्ति को

दो लंगोटिया मित्र का वार्तालाप

वर्तमान राजनीति पर एक हास्य कथा। दो नेता मित्रों की चर्चा प्रायः होते रहती है। प्रस्तुत है उन दोनों मित्रों की अंतरंगता के साथ काल्पनिक वार्तालाप। पहला मित्र: ~ हमारे पास देश की प्रगति का एक अच्छा तरकीब है। दूसरा मित्र: ~ बताओ अपनी तरकीब। हम भी तो तुम्हारे उस तरकीब को समझें। पहला मित्र: ~ जब हम लोगों का भारत पर राज हो जायेगा तब हम अमरीका पर आक्रमण कर देंगे। सैन्य शक्ति के रूप में अमरीका हमारे देश से तो मजबूत है ही। वह हमारे देश को जीतकर अपना इकावनवा राज्य बना लेगा। अमरीका तो लगातार तरक्की करते ही रहता है; वह हमारे देश को भी विकसित कर देगा। कल्पना कीजिए उस स्थिति का। हमारे देश का करेंसी भी मजबूत डॉलर होगा, वहां जाने के लिए कोई वीजा की आवश्यकता नहीं होगी। दुनिया भर में हमारे नागरिकों का अमरीकी नागरिक के रूप में कितना सम्मान बढ़ जायेगा। दूसरा मित्र उदास हो गया। पहले मित्र ने उनसे उदासी का कारण पूछा। दूसरे ने बताया कि बताओ यदि युद्ध में अमरीका हमारे देश से हार गया तब क्या होगा? पहला मित्र: ~ अरे भाई, यह तो बहुत ही अच्छा हो जायेगा। जब हमारा देश जीत जायेगा तब हम पूरे अमरीका में भी आरक्षण लाग