हार में जीत की निशानी
पाँच राज्यों में विधान सभा चुनाव के परिणाम ही सोशल मीडिया पर पार्टी की हार-जीत पर टिप्पणियों की बाढ़ सी आ गयी है। लोग अपने मित्र-मण्डली में भी मोबाइल पर हार-जीत का विश्लेषण कर रहे हैं। जो मतदान नहीं भी करते हैं वे भी सक्रिय हो गये हैं। ये सब हमारे लोकतंत्र के लिये शुभ लगता है। जनता की भागीदारी ही मजबूत लोकतंत्र की पहचान है। बीजेपी मध्य प्रदेश और राजस्थान में मामूली अन्तर से और छत्तीसगढ़ में भारी अन्तर से हारी है। तेलंगाना और मिजोरम में कांग्रेस पार्टी की भारी पराजय हुई है। इसी तरह तेलंगाना में तेलगु देशम को भी भारी पराजय का सामना करना पड़ा है। पार्टियों की इस हार में उनकी अगली जीत की निशानी भी छिपी हुई है. पार्टियों की हार के कारणों को भी समझना जरुरी है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की हार के कुछ कारण पोलिटिकल इंटेलिजेंस की कमी:- कहने को तो भाजपा के पास कार्यकर्ताओं की भारी फ़ौज हैं, लेकिन जनता के मूड को भांपा नहीं जा सका। अगर प्रादेशिक या केंद्रीय संगठन अपने पोलिटिकल इंटेलिजेंस का सदुपयोग करता तो असंतुष्ट लोगों की राजनैतिक आग को समय पर बझायी जा सकती थी। प्रत्या