उग्रवाद समस्या के कुछ काल्पनिक समाधान।
कहा जाता है कि ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका कोई समाधान नहीं हो. हर समस्या कुछ न कुछ दुःख देती है; कष्ट देती है. बड़े बुजुर्ग यह भी कह गये हैं कि जब भगवान किसी को दुःख देते हैं तो उसे दुःख सहने की शक्ति भी पहले ही दे देते हैं. उग्रवाद की समस्या ने भी न जाने हमारे समाज से कितनी ही जिंदगियाँ समय के पहले ही छीन ली. बहुत से उग्रवादी भी हमारे सुरक्षा बलों के मुठभेड़ में मारे गये. हमारे सुरक्षा बलों के बहुत सारे जवान उग्रवादियों द्वारा बारूदी सुरंग के विस्फोट किये जाने से या उनके द्वारा घात लगाकर किये गये हमलों में मारे गये. उग्रवादियों ने बहुत से ग्रामीणों को मुखबिरी का आरोप लगाकर मार दिया तो बहुत से ग्रामीण उग्रवाद प्रभावित इलाकों में मेडिकल सुविधा के अभाव में समय से पहले ही स्वर्ग सिधार गये. उग्रवाद प्रभावित इलाकों में Human Index भी बहुत निम्न स्तर पर है. कुल मिलाकर अब इस सोशल मीडिया के युग में सिविल समाज के स्तर पर भी उग्रवाद की समस्या पर आवाज उठाने का समय आ गया है. सोशल मीडिया का सकारात्मक प्रभाव सरकार और नक्सली संगठनों पर भी बढ़ता जा रहा है. नक्सली समस्या के कुछ काल्पनिक समाधा