यूपी का एक चुनावी विश्लेषण
अभी चुनावी विश्लेषणों और एग्जिट पोल का समय चल रहा है। यहाँ प्रस्तुत है कुछ लोगों के लोगों से प्राप्त सुनी-सुनायी बातों और स्विंग विधि पर आधारित एक चुनावी विश्लेषण। 1. पिछला चुनाव अर्थात वर्ष 2017 में समाजवादी पार्टी के अत्यधिक प्रभाव वाले बूथों पर कुछ बोगस मतदान हुए थे। ऐसा इसलिये कि प्रायः तैनात सभी पार्टियों के एजेंट आपस में मिल गये थे। पोलिंग पार्टी और पुलिस पार्टी के लोग भी प्रभावित होकर परोक्ष रूप से बोगस मतदान पर अपनी आंखें बंद कर लिये थे। इस बार ऐसा नहीं हुआ है। इससे समाजवादी पार्टी को पिछली बार की तुलना में लगभग दो प्रतिशत मतदान में कमी आने का अनुमान है। 2. इस बार बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस पार्टी के पक्ष में कम मतदान हुआ है। ऐसे में इन दोनों पार्टियों के मुस्लिम मतदाता समाजवादी पार्टी को और हिन्दू मतदाता भाजपा के तरफ मतदान करने की बात कही जा रही है। इस बिखराव से भाजपा को दो प्रतिशत लाभ हो सकता है। 3. वर्ष 1967 से ही राजपूत मतदाता दो-तीन पार्टियों में बंटे रहे हैं। पहली बार 80% से ऊपर राजपूत मतदाता भाजपा के पक्ष में मतदान कर रहे हैं। इस कारण पूर्व की तुलना में भाजपा को तीन