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Showing posts from September, 2017

बच्चों की Security और सेफ्टी पर कुछ चिन्ता

    आये दिन स्कूलों में बच्चों की Safety और Security से उत्पन्न खतरों के समाचार टीवी, सोशल मीडिया और अख़बारों पर आ रहे हैं. हाल ही में हुए रेयान स्कूल, गुरुग्राम में एक सात वर्षीय बालक प्रदुम्न की निर्मम हत्या की घटना ने तो पूरे देश को झकझोर कर ही रख दिया है। उसके एक दिन बाद दिल्ली के एक स्कूल से एक पॉँच वर्षीय बालिका के साथ हुए पाश्विक बलात्कार की घटना ने तो अभिभावकों के जले पर नमक छिड़क दिया. स्कूल बसों एवम अन्य स्कूल वाहनों से बच्चों के मरने या उनके जख्मी होने के समाचार तो आम हो चले हैं. अब समय आ गया है कि बच्चों के Security और उनके Safety पर वाजिब चिन्ता जाहिर करते हुए इनपर आवाज उठायी जाये।     रेयान स्कूल, गुरुग्राम की घटना इसलिये भी अत्यन्त चिन्ताजनक है क्योंकि वह स्कूल अपने देश के लगभग 140 स्कूलों वाले एक बहुत ही नामी स्कूल में घटी है. नामी स्कूल प्रबन्धन से उम्मीद की जाती है कि वे अपने नाम के अनुरूप ही अपने स्कूलों में बच्चों की Security और Safety हेतू उचित प्रबन्ध किये होंगे। आज ही यानि 14.09.2017 को एक और दुःखद समाचार आया कि मलेशिया की राजधानी कुआला लम्पुर के एक स्कूल में आग

Thanks और Sorry का प्रभाव भी मतदान पर पड़ता है

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   अंग्रेजों ने हमें अपनी भावना को व्यक्त करने हेतु Thanks और Sorry के रूप में दो शक्तिशाली शब्द दिये हैं. बड़े और शरीफ लोग इन दोनों शब्दों का उपयोग बड़े पैमाने पर करते हैं. अब तो इन दोनों शब्दों का उपयोग मतदान के समय भी किया जाने लगा है. सभी अच्छे कार्यों की चर्चा खूब की जाती है और इससे सरकारी नेताओं की खूब बड़ाई होती है. किसी अच्छे कार्य का श्रेय लेने की होड़ सी लग जाती है. बड़े नेताओ के चाटुकार लोग तो इस अवसर का खूब लाभ उठाते हैं. इसके विपरीत कार्य करने वाले कनीय नेता और अधिकारी चुप रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं. श्रेय लेने वालों और दिलाने वालों को खूब Thanks मिलता है. उसी तरह अपने किये गये वादों को पूरा नहीं किये जाने पर Sorry बोला जाता है और उन्हें पूरा करने हेतु और अधिक समय की मांग की जाती है. यही सिलसिला चुनाव दर चुनाव चलते रहता है.     जब अटलजी ने परमाणु परीक्षण कराये थे तो बड़े लोगों ने उनकी खूब प्रशंसा की थी. जब उन्होंने अच्छी सड़कें बनवाई तब गाड़ी-मालिक और उनके उपयोग करने वालों ने उनकी खूब तारीफ की थी. अच्छी सड़कों के पास की जमीन की उपयोगिता और उसी अनुरूप कीमत भी काफी बढ़ गयी

भारत और म्यांमार के बीच मजबूत सम्बन्ध समय की माँग है

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    म्यांमार(पूर्व का बर्मा) हमारा पूर्वी पडोसी देश है. पहली अप्रैल 1937 को ब्रिटिश इंडिया से बर्मा को अंग्रेजों ने अलग कर उसपर अलग से शासन शुरू किया। बर्मा ने 1948 में अपनी स्वतन्त्रता प्राप्त की अभी म्यांमार में शान्ति के लिये नोबेल पुरष्कार प्राप्त श्रीमती औंग सान सू की का शासन चल रहा है. भारत और म्यांमार में काफी समानतायें हैं. इन दोनों देशों के बीच का मजबूत सम्बन्ध समय की मांग है. इन दोनों देशों में अभी शासन की प्रजातान्त्रिक व्यवस्था चल रही है. इन दोनों देशों के बीच का सम्बन्ध दो हजार वर्ष से भी पुराना है. सम्राट अशोक के ज़माने से भारत से लोग बर्मा जाने लगे थे. अभी म्यंमार बौद्ध प्रधान देश है जिसकी जड़ें भारत में जमी हुई हैं.      मुग़ल वंश का अन्तिम बादशाह बहादुर शाह द्वितीय ने अपनी अन्तिम सांस बर्मा में ली थी. उनका कब्र वहाँ के रंगून शहर के पास ही स्थित है. द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सेना में शामिल बहुत से भारतीय सैनिकों ने जापानी सैनिकों के समक्ष समर्पण कर आज़ाद हिन्द सेना में शामिल हो गये थे. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में आज़ाद हिन्द सेना ने अंग्रेजी सेना को हरात