प्रभावकारी चिकित्सा व्यवस्था से भी लोगों का दिल जीता जा सकता है.
चिकित्सा-सेवा को हमारे सम्विधान के समवर्ती सूचि में रखा गया है. यानि जनता को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करने केन्द्र और राज्य सरकारों दोनों का सम्वैधानिक दायित्व है. हमारे सम्विधान को जन-कल्याणकारी और समाजवादी दोनों बनाया गया है. कल्याणकारी और समाजवादी व्यवस्था का अर्थ है कि राष्ट्रीय धन पर सभी जनता का उचित अधिकार है. हमारे देश के कर्णधारों ने हमारे देश के लिये मिश्रित अर्थ-व्यवस्था को उचित बताया था और इसी मार्गदर्शन के अन्तर्गत निजी चिकित्सा प्रणाली को भी समय-समय पर उचित प्रोत्साहन भी दिया जाता रहा है. निजी चिकित्सा व्यवस्था ने हमारे बहुत से लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार भी दिया है. इसके नियमन हेतु मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इंडिया(MCI) भी बनाया गया है. अपने देश के लोगों के आर्थिक वर्गीकरण से लगभग दस प्रतिशत धनी लोग निजी चिकित्सा व्यवस्था से सन्तुष्ट बताये जाते हैं. लगभग पैतीस प्रतिशत मध्यम वर्ग के लोग लाचारी में निजी चिकित्सा व्यवस्था को अपना रहे हैं. लेकिन शेष पचपन प्रतिशत लोग, जिनकी आमदनी उतनी नहीं है कि वे महँगी निजी चिकित्सा व्यवस्था का लाभ उठा सकें, सरकारी अस्पतालों में अपनी बीमारी