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Showing posts from May, 2014

बिना किराया बढ़ाये भी रेल की आमदनी बढ़ायी जा सकती है

   अंग्रेजों ने रेलवे का महत्व पहचाना था. उनलोगों ने पाया कि रेलगाड़ी से उतने ही ईंधन में सड़क मार्ग की अपेक्षा करीब दस गुना वजन और वह भी अधिक तेजी से ढोया जा सकता है तथा हवाई और सड़क परिवहन की तुलना में प्रति यात्री काफी कम ईंधन लगता है. रेलवे के इस महत्व को देखते हुए अंग्रेजों ने भारत भर में रेलवे का जाल फैला दिया। बाद में कोयला के बदले ट्रेनों को बिजली और डीजल इंजन से चलाया जाने लगा. 1973 में पहली बार के विश्व तेल संकट ने विश्व के तमाम देशों को रेलवे के विद्युतिकरण हेतु वाध्य कर दिया। इस दौड़ में हम पिछड़ गये. रेलवे हमारे अर्थ-तन्त्र का वाहक हुआ करता था.    धीरे-धीरे रेलवे की उपेक्षा की जाने लगी. जो रेलवे हमारे देश में भी माल और यात्री परिवहन में अग्रणी था अब इन दोनों क्षेत्रों में सड़क मार्ग से प्रति वर्ष पिछड़ता जा रहा है. परिणामतः आज हमारा देश अपनी आवश्यकता का 82% कच्चा तेल आयात कर रहा है यानि हमने अपनी अर्थ-व्यवस्था का डिजलीकरण कर लिया है. विश्व मंडी में कच्चे तेल का या डॉलर का भाव बढ़ते ही हमारे यहाँ बेचैनी फैलने लगती है. आशा है नयी सरकार रेलवे के महत्व को समझेगी। अभी रेलवे के लिये ब

ट्रेनों के विलम्ब से चलने के कुछ फायदे; एक व्यंग्य!

    ट्रेनों के विलम्ब से चलने के कुछ फायदे भी होते हैं. एक बार एक व्यक्ति को ट्रेन से यात्रा करने के पहले उसके घर पर कुछ काम आ गया. वह ट्रेन की लेट-लतीफी के कई किस्से सुन रखा था. सो उसने अपना काम निपटा लेना ही उचित समझा और मन ही मन भगवान से ट्रेन लेट करने हेतु प्रार्थना भी करता रहा. जब स्टेशन पँहुचा और टिकट लेकर प्लेटफार्म पर पँहुचा तो उसके ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा. वह ट्रेन में चढ़कर एक उपयुक्त सीट पर बैठकर भगवानजी को धन्यबाद देते रहा. जब दस-बारह मिनट बाद भी ट्रेन नहीं खुली तो वह रेल विभाग को लेट-लतीफी के लिये कोसने लगा. उसके एक सह यात्री से नहीं रहा गया. उसने समझाया कि भगवानजी बड़े दयालु हैं. हो सकता है कि वे आप ही की तरह ट्रेन से यात्रा करने वाले किसी और भक्त की प्रार्थना स्वीकार कर लिये हों. इसलिये रेल विभाग कोसने के बजाय उस भक्त की प्रतीक्षा की जाय. ट्रेनों के विलम्ब से चलने के कुछ फायदे:-  1. शाम को लगभग छः बजे के आस-पास एक पैसेंजर ट्रेन सासाराम(बिहार) से आरा के लिये अपने 96 कि.मी के सफर पर खुलती है. इसे करीब साढ़े तीन घंटे का सफर पूरा कर अपने गन्तव्य पर पँहुचना होता है. यह ट्रेन