बिना किराया बढ़ाये भी रेल की आमदनी बढ़ायी जा सकती है

   अंग्रेजों ने रेलवे का महत्व पहचाना था. उनलोगों ने पाया कि रेलगाड़ी से उतने ही ईंधन में सड़क मार्ग की अपेक्षा करीब दस गुना वजन और वह भी अधिक तेजी से ढोया जा सकता है तथा हवाई और सड़क परिवहन की तुलना में प्रति यात्री काफी कम ईंधन लगता है. रेलवे के इस महत्व को देखते हुए अंग्रेजों ने भारत भर में रेलवे का जाल फैला दिया। बाद में कोयला के बदले ट्रेनों को बिजली और डीजल इंजन से चलाया जाने लगा. 1973 में पहली बार के विश्व तेल संकट ने विश्व के तमाम देशों को रेलवे के विद्युतिकरण हेतु वाध्य कर दिया। इस दौड़ में हम पिछड़ गये. रेलवे हमारे अर्थ-तन्त्र का वाहक हुआ करता था.
   धीरे-धीरे रेलवे की उपेक्षा की जाने लगी. जो रेलवे हमारे देश में भी माल और यात्री परिवहन में अग्रणी था अब इन दोनों क्षेत्रों में सड़क मार्ग से प्रति वर्ष पिछड़ता जा रहा है. परिणामतः आज हमारा देश अपनी आवश्यकता का 82% कच्चा तेल आयात कर रहा है यानि हमने अपनी अर्थ-व्यवस्था का डिजलीकरण कर लिया है. विश्व मंडी में कच्चे तेल का या डॉलर का भाव बढ़ते ही हमारे यहाँ बेचैनी फैलने लगती है. आशा है नयी सरकार रेलवे के महत्व को समझेगी। अभी रेलवे के लिये बहुत बड़ा बाज़ार उपलब्ध है, जिसका लाभ न तो रेलवे उठा रही है और न ही यात्रियों को ही इसका लाभ मिल रहा है.
    प्रायः रेल की आमदनी बढ़ाने के लिये इसके किराये में वृद्धि कर दी जाती है और इस वृद्धि से बाजार में प्रायः सभी वस्तुओं/सभी सेवाओं की बढ़ जाती हैं. इसके परिणामस्वरुप आम जनता की परेशानी बढ़ जाती है. कुछ उपायों को अपनाकर रेल की कुछ आमदनी तो बढ़ायी ही जा सकती है.
1. लम्बी और मध्यम दूरी की बहुत सी एक्सप्रेस और सुपर एक्सप्रेस यात्री गाड़ियों में कुछ आगे के स्टेशनों के लिये आरक्षण का कोटा निर्धारित होता है. जैसे 13351 धनबाद-अलपूजा एक्सप्रेस गाड़ी धनबाद से 10:50 पर खुलकर 14:50 में राँची पँहुचती है. इसमें दो स्लीपर डिब्बा बोकारो, दो स्लीपर डिब्बा राँची के लिये और एक डब्बा राउरकेला के लिये आरक्षित होता है. कागज पर ये सभी डिब्बे खाली जाते हैं, जबकि ये सभी डिब्बे प्रायः खचाखच भरे होते हैं.
    यदि इस गाड़ी के इन डिब्बों को Reserved Second Seating घोषित कर उसी अनुरूप आरक्षण की व्यवस्था की जाय तो भीड़ को देखते हुए आसानी से प्रति स्लीपर डिब्बा 90 सीट का पैसा रेलवे को मिल जायेगा और रेलवे की आमदनी में कुछ वृद्धि हो जाएगी और दिन के समय के यात्रियों की यात्रा तनावमुक्त हो जाएगी। इस तरह की दर्जनों-दर्जनों गाड़ियाँ चलती हैं.
2. राँची-वाराणसी इंटरसिटी एक्सप्रेस हटिया यार्ड में करीब सोलह घण्टे तक सुस्त पड़ी रहती है. इसे आसानी से राँची से राउरकेला तक बढ़ाई जा सकती है. इसके लिये मात्र राउरकेला में यार्ड क्षमता में वृद्धि करनी होगी। इससे रेलवे की आमदनी और रोजगार सृजन दोनों में वृद्धि हो जाएगी। इस तरह की दर्जनों-दर्जनों मध्यम दूरी की एक्सप्रेस ट्रेनें दिनभर सुस्त पड़ी रहतीं हैं. अगर लगभग 450 किमी से कम दूरी की रात में चलने वाली ट्रेनों को या तो तीन-चार घंटा आगे की यात्रा के लिये बढ़ा दी जाय या इन गाड़ियों को बन्द कर इनके सुरक्षित डिब्बों को अधिक दूरी की ट्रेनों में लगा दी जाय तो रेल की आय भी बढ़ जाएगी। मध्यम दूरी की अधिक से अधिक ट्रेनों को दिन में चलाया जाना चाहिये।
3. अभी बिना टिकट यात्रा करने पर न्यूनतम 250रु के जुर्माने का प्रावधान है. जाने-अनजाने लोग बिना टिकट यात्रा करते ही हैं. अधिकांश यात्री तो लाचारीवश बिना टिकट यात्रा करते हैं या सामान्य श्रेणी का टिकट लेकर स्लीपर में यात्रा करते हैं और TTE द्वारा पकड़े जाने पर 50-100रु देकर अपना पिंड छुड़ा लेते हैं.
    यदि इस जुर्माने की राशि को घटा कर मात्र 25रु कर दी जाय तो यात्री से वसूली गयी पूरी राशि रेलवे को मिल जायेगी और रेलवे की आमदनी में कुछ वृद्धि हो जाएगी।
4. दिन में चलने वाली एक्सप्रेस और सुपर एक्सप्रेस यात्री गाड़ियों में सामान्य श्रेणी के यात्रियों की संख्या के अनुपात में उनके लिये उपलब्ध सीटों की संख्या बहुत ही कम होती है और ऊपर से अधिकांश गाड़ियों में Distance Restrictions अलग से होते हैं. माँग और आपूर्ति में भारी अन्तर यात्रियों को अवैध तरीके से यात्रा करने पर मजबूर होना पड़ता है. इस तरह से रेलवे को अपेक्षित आमदनी नहीं होती है.
    यदि इन गाड़ियों में Distance Restrictions हटा दिया जाय और बीच का एक स्लीपर डिब्बा को दिन में Reserved Second Seating घोषित कर उसी अनुरूप आरक्षण की व्यवस्था की जाय तो भीड़ को देखते हुए आसानी से प्रति स्लीपर डिब्बा 90 सीट का पैसा रेलवे को मिल जायेगा और रेलवे की आमदनी में कुछ वृद्धि हो जाएगी।
5. श्री लालू यादव ने रेल मन्त्री के प्रारम्भिक कुछ दिनों तक अवैध पार्सल और माल गाड़ी में Over Loading रोकने की कार्यवाही की थी, लेकिन अज्ञात कारणों से अपना अभियान बन्द कर दिया। यदि उक्त अभियान को पुनः चालू किया जाय तो रेलवे की आय में अवश्य वृद्दि होगी।
6. भले ही Operational Staff की कमी हो अन्य कर्मचारियों की संख्या आवश्यकता से काफी अधिक है. अनावश्यक कर्मचारियों की संख्या कम करने से भी रेलवे  खर्चे में कमी आयेगी जो परोक्ष रूप से आमदनी बढ़ाने वाला ही साबित होगा।
7. हमारे यात्री ट्रेनों को चलता-फिरता बाजार बना दिया गया है और हिजड़ों को लूटने की खुली छूट दे दी गयी है. अगर इन अवैध वेंडरों और हिजड़ों से उचित कर वसूला जाय तो रेलवे को काफी आमदनी होगी।
8. एक तरफ तो रेलवे अपनी आर्थिक बदहाली का रोना रोता है और दूसरी तरफ एक शाहखर्च की तरह अपने स्टाफ, पूर्व स्टाफ, पूर्व सांसद आदि को अनगिनत मुफ्त टिकट बांटता है तथा बहुत लोगों को अनगिनत रियायती टिकट भी देता है. यदि रेलवे एक साल में मुफ्त टिकट की संख्या दो और रियायती टिकट की संख्या पाँच तक सिमित कर दे तो प्रतीक्षारत यात्रियों को भी यात्रा करने का मौका मिल जायेगा तथा रेलवे की आय में भी वृद्धि हो जायेगी।
9. अगर रेलवे की कार्यक्षमता देखनी हो तो दानापुर के नियंत्रण प्रणाली को देखिये, जहाँ आये दिन विधि-व्यवस्था की समस्या पैदा होते रहती है. दानापुर के नियंत्रण प्रणाली के द्वारा मनमाने ढंग से ट्रेनों को आस-पास के स्टेशनों पर आधा-आधा घंटा तक रोक दी जाती हैं. कुछ लोग कहते कहते सुने जा सकते हैं कि दानापुर कंट्रोल में अकर्मण्य स्टाफ का जुटान हो गया है और कोई सुनने वाला नहीं है. ऐसे लोग पूरे देश में होंगे। इनपर कार्यवाही कर और इन्हे मियमित रूप से प्रशिक्षण देकर इनकी कार्य क्षमता बढ़ाई जानी चाहिये। इससे भी रेलवे की आमदनी में वृद्धि होगी।
10. जन शताब्दी ट्रेने सबसे कमासुत(Earner) साबित हुई हैं. प्रति दिन मात्र एक रैक से इसकी कमाई पाँच लाख रुपये तक है. सबसे महँगी राजधानी एक्सप्रेस से भी रेलवे को इतनी कमाई नहीं होती। इसे अधिक से अधिक व्यस्त routes पर चलायी जानी चाहिये। हो सके तो अब इसे 800-900 किमी की route पर भी एकतरफा भी चलायी जानी चाहिये। इससे रेलवे की आय में काफी वृद्धि हो जायेगी।
11. अभी एक्सप्रेस गाड़ियों का ठहराव बहुत ज्यादा है. इस कारण एक्सप्रेस गाड़ियों के गन्तव्य तक पँहुचने की औसत गति लगभग चालीस कि.मी प्रति घंटे के आस-पास ही रहती है. यदि ठहराव वाले स्टेशनों का तीन भागों में वर्गीकरण किया जाय और एक्सप्रेस ट्रेनों को A और B में बाँट दिया जाय तथा A ट्रेन को बड़े स्टेशनों पर प्रति दिन और मध्यम स्टेशनों पर सप्ताह में चार दिन ठहराव किया जाय. उसी तरह B ट्रेन को बड़े स्टेशनों पर प्रति दिन और अपेक्षाकृत छोटे ठहराव वाले स्टेशनों पर सप्ताह में तीन दिन ठहराव किया जाय तो ट्रेनों की औसत गति कम से कम दस प्रतिशत जरूर बढ़ जाएगी। इस तरह बहुत ही कम खर्च एक्सप्रेस ट्रेनों का उचित विस्तार कर रेलवे की आय को बढ़ायी जा सकती है. इससे रेल यात्रियों को भी बहुत लाभ होगा।
12. अभी Curve का बहाना देकर और गति के नाम पर बहुत सी गाड़ियों को मात्र 6 से 11 डब्बे की गाड़ियां चलाई जा रही हैं. जब प्रायः अपेक्षाकृत बड़े स्टेशनों पर 21 से 26 डब्बों को सम्हालने की क्षमता है, तो छोटी गाड़ियों को चलाना सामान्य रेल यात्रियों के साथ मजाक लगता है. जब माल गाड़ियां दो इंजिनों से सफलता पूर्वक चलायी जा सकती हैं तो हमारे रेल इंजीनियरों को इसे यात्री गाड़ियों में लगाने से क्यों रोका जा रहा है?
13. हमारे देश को कच्चा तेल का बड़े पैमाने पर आयात करना पड़ता है. अगर Roll in Roll out सेवा को बड़े पैमाने पर चलाया जाय तो डीजल की भी बचत होगी और देश एक कोने से दूसरे कोने तक सामान भी सस्ता पँहुचेगा तथा रेलवे को भी बहुत आमदनी होगी। 
    अब हमारे रेल तन्त्र को हवाई कम्पनियों से भी कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है और इस मुकाबले से AC1 और AC2 के यात्रियों को बहुत लाभ होगा। दो वर्ष पूर्व की तुलना में ATF की कीमत घटने से भी और हवाई कम्पनियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से टिकट दलालों और पाकिटमारों से भी इन यात्रियों को निजात मिलेगा। अभी तक हमारी रेल व्यवस्था का संचालन इसके पूरी क्षमता के साथ नहीं किया जा रहा है. कुल मिलाकर सामान्य जन यही चाहते हैं कि हमारी रेल व्यवस्था का संचालन पेशेवर तरीके से किया जाय, न कि राजनैतिक रूप से.
नोट:- यह आलेख मेरी रेल यात्राओं के अनुभव और इंटरनेट पर चीनी रेलवे के कुछ तुलनात्मक अध्ययन पर आधारित है. पाठकगण इस आलेख को और बेहतर बनाने में अपना सुझाव दे सकते हैं. उनके सुझावों को सहर्ष इसमें शामिल किया जायेगा।         
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1. "Simple business policy, reduce undue expenses & block pilferage" on 02.06.2014
2.  on 24.02.2015 
"Stop issuing privileges passes to employees & save 2100 Cr."
           

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