गऊ-पालन में भी रोजगार की अपार सम्भावनायें हैं?
पशु-पालन हमारे देश में कुटीर उद्योग और लघु उद्योग की तरह फैला हुआ था और इनमे करोड़ों लोगों को रोजगार मिला हुआ था. रोजगार का सृजन बहुत ही पुण्य का कार्य माना जाता है और बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराना दुनिया की सबसे बड़ी समाज सेवा मानी जाती है. भाग-1( दुधारू गऊ-पालन) इस लेख का यह भाग निम्नलिखित तथ्यों पर आधारित है--- 1. एक देसी गाय की औसत उम्र 14-15 साल है, जिसमे वह करीब तीन साल के बाद बच्चा देती है, अगले आठ साल में वह करीब चार (कुछ अन्तरालों पर) साल औसतन प्रतिदिन दो लीटर दूध देती है, करीब पाँच साल(कुछ अन्तरालों पर) बिसुखी रहती है और वह अपना आखिरी तीन-चार साल का समय गौलक्षणी या गौशाला या गौपालकों के दरवाजा बिता कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेती है. 2. शंकर नस्ल की उन्नत जर्सी या साहिवाल गाय करीब सात साल तक प्रतिदिन औसतन दस लीटर दूध देती है. इसका औसत वजन चार क्विंटल होता है. जीवन काल लगभग सभी गायों की समान ही है. 3. देशी गाय छोटा मेहनती परिवार के लिये अपने घरेलु उपयोग के लिये उपयुक्त है जबकि शंकर नस्ल की गायें बड़ा परिवार के घरेलु उपयोग या व्यावसायिक उपयोग के लिये उपयुक्त है. 4. क