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Showing posts from January, 2014

मानकी-मुण्डा व्यवस्था और Wilkinson Rule

     सम्राट अकबर के एक सिपहसलार मान सिंह हुआ करते थे. दरबारी लोग और स्वयम् सम्राट भी उनका मनोबल बढ़ाने के लिये उन्हें वीर मान सिंह कहकर पुकारते थे. अकबर के महान वित्त मन्त्री टोडर मल भी कुछ जंगली क्षेत्रों से कर वसूली में असमर्थ रहा था. हारकर उसने उन क्षेत्रों को मुगलबन्दी कह कर कर-वसूली का प्रयास छोड़ दिया। इस पर अकबर ने अपने सेनापति वीर मान सिंह से मजाक में प्रस्ताव दिया कि इस मुगलबन्दी क्षेत्र का सूबेदार बनाया जाता है और इसके लिये उनका वेतन एक रुपैया प्रतिमाह बढ़ाया जायेगा, लेकिन उनको इस मुगलबन्दी क्षेत्र का कर एक रुपैया प्रतिमाह देना होगा। सेनापति वीर मान सिंह ने इस प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार कर लिया। इस तरह मुग़ल रियासत को समूचे इलाके से नियमित रूप से कर वसूली आने लगा.      कुछ दिन बाद सेनापति वीर मान सिंह ने भी एक तरकीब निकली। उसने मुगलबन्दी वाले भूभाग को तीन भाग में बांटा और अपने नाम को भी तीन टुकड़ों में बाँट कर उनका नाम क्रमशः वीरभूम, मानभूम और सिंहभूम रख दिया तथा तत्कालीन बंगाल के मुगलबन्दी वाले उक्त इलाकों के पास वाले सैन्य अधिकारियों को इन इलाकों का कर-संग्राहक बना दिया और उनसे

नेताजी की एक अद्भुत जन-सभा

    वर्ष 1981 की बात है. पूर्वी चम्पारण(बिहार) के एक गाँव के सरकारी विद्यालय के मैदान में सन्ध्या चार बजे से  बिहार प्रतिपक्ष के नेता स्व. कर्पूरी ठाकुर की एक जन-सभा आयोजित थी. ठाकुरजी समय से करीब दस मिनट पूर्व ही अपने निजी सहायक और सरकारी अमला के साथ लाल-बत्ती कार पर सवार होकर  सभा-स्थल पर पहुँच गये थे. उस समय तक न तो सभा-स्थल पर कोई ग्रामीण आया था और न ही मंच ही बनाया गया था. विद्यालय के सभी कमरों में ताला भी लगा हुआ था. जन-सभा के आयोजनकर्ताओं का भी अनुपस्थित रहना रहस्य का विषय बना रहा.     ठाकुरजी की पार्टी 1977 के जय प्रकाश आन्दोलन की लहर में चुनाव जीत गयी थी और ठाकुर जी बिहार के मुख्य मन्त्री बने थे. वे 1980 के इन्दिराजी की लहर में स्वम् तो विधायक बन गये, लेकिन उनकी पार्टी चुनाव हार गयी थी. भूत पूर्व मुख्य मन्त्री, लोकप्रियता और वरीयता के नाते उन्हें नेता प्रतिपक्ष चुन लिया गया था. नेता प्रतिपक्ष को एक मन्त्री का दर्जा प्राप्त होता है. उस नाते उन्हें क्षेत्र में भी एक मन्त्री की सुविधा प्राप्त थी.     सभा-स्थल पर किसी ग्रामीण का नहीं आना उनके साथ आये कर्मचारियों को आश्चर्य चकित