मानकी-मुण्डा व्यवस्था और Wilkinson Rule
सम्राट अकबर के एक सिपहसलार मान सिंह हुआ करते थे. दरबारी लोग और स्वयम् सम्राट भी उनका मनोबल बढ़ाने के लिये उन्हें वीर मान सिंह कहकर पुकारते थे. अकबर के महान वित्त मन्त्री टोडर मल भी कुछ जंगली क्षेत्रों से कर वसूली में असमर्थ रहा था. हारकर उसने उन क्षेत्रों को मुगलबन्दी कह कर कर-वसूली का प्रयास छोड़ दिया। इस पर अकबर ने अपने सेनापति वीर मान सिंह से मजाक में प्रस्ताव दिया कि इस मुगलबन्दी क्षेत्र का सूबेदार बनाया जाता है और इसके लिये उनका वेतन एक रुपैया प्रतिमाह बढ़ाया जायेगा, लेकिन उनको इस मुगलबन्दी क्षेत्र का कर एक रुपैया प्रतिमाह देना होगा। सेनापति वीर मान सिंह ने इस प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार कर लिया। इस तरह मुग़ल रियासत को समूचे इलाके से नियमित रूप से कर वसूली आने लगा. कुछ दिन बाद सेनापति वीर मान सिंह ने भी एक तरकीब निकली। उसने मुगलबन्दी वाले भूभाग को तीन भाग में बांटा और अपने नाम को भी तीन टुकड़ों में बाँट कर उनका नाम क्रमशः वीरभूम, मानभूम और सिंहभूम रख दिया तथा तत्कालीन बंगाल के मुगलबन्दी वाले उक्त इलाकों के पास वाले सैन्य अधिकारियों को इन इलाकों का कर-संग्राहक बना दिया और उनसे