Posts

Showing posts from October, 2016

एक बेरोजगार की भीष्म-प्रतिज्ञा!

Image
     एक गाँव के एक लड़का को नौकरी मिलते-मिलते रह जाती थी। उसके पिता किसी निजी कम्पनी में उसे छोटा-मोटा काम भी नहीं करने देते थे; खानदान के इज़्ज़त का जो सवाल था। नौकरी नहीं मिलने के लिये वह लड़का अपने किस्मत को दोष देता जबकि उसके पिता आरक्षण को।      एक दिन वह लड़का एक लैपटॉप की मांग अपने पिता से कर बैठा। उसके दहेज़ लोभी पिता ने उसे समझाया कि लैपटॉप उसकी शादी में दहेज़ में मिल जायेगा। इस पर वह लड़का भड़क गया। उस लड़के ने गुस्से में आकर एक भीष्म-प्रतिज्ञा कर डाली कि जब तक हमारे नेताजी प्रधान मन्त्री नहीं बन जाते तब तक वह शादी नहीं करेगा। उसने सबको बताया कि नेताजी के प्रधान मन्त्री बन जाने से सब बेरोजगारों को एक-एक स्मार्ट फोन मिल जायेगा और सभी को नौकरी भी मिल जायेगी। इस तरह देश की सभी समस्यायों का समाधान हो जायेगा।      वह लड़का अब नेता बन गया और अपनी भीष्म-प्रतिज्ञा को पूरी करने में जुट गया। एक व्यक्ति अपनी उम्र की सीमा पार करने पर भी बेरोजगार रह गया था. उसने नये नेताजी से पूछ ही लिया। क्या कश्मीर और चीन समस्या का भी समाधान हो जायेगा? क्या महंगाई भी कम हो जायेगी? उस नये नेता ने बताया कि वह अप

एलएमपी(Legal Medical Practitioner) और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवायें।

     बहुत ज्यादा दिन की बात नहीं है करीब तीस-चालीस साल पहले ग्रामीण इलाकों के बाज़ारों में कोई न कोई डॉक्टर साहेब रहते थे. वे सभी डॉक्टर दरभंगा या कलकत्ता के मेडिकल स्कूलों से पढ़े होते थे.     पिछली शताब्दी के सत्तर के दशक से अपने देश में खासकर BIMARU राज्यों में शहरीकरण की गति बढ़ने लगी. उस समय तक बिहार में पटना, राँची और दरभंगा में मेडिकल कॉलेज थे लेकिन वहाँ से लगभग तीन सौ डॉक्टर हर साल निकलते थे और सब के सब शहरों में ही खपने लगे. ग्रामीण इलाकों में भी प्रत्येक प्रखण्ड में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र(PHC) और सहायक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र(APHC) की स्थापना हुई और वहाँ चिकित्सक जाकर अपनी अच्छी सेवा भी देने लगे.     जब से मेडिकल की पढाई का निजीकरण हुआ तब से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा में कमी आने लगी. धीरे-धीरे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र(PHC) और सहायक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र(APHC) से चिकित्सक गायब होने लगे. सरकार ने चिकित्सकों को ग्रामीण क्षेत्रों में भेजने के कई प्रयास किये लेकिन वांछित सफलता नहीं मिली। इसका मुख्य कारण ग्रामीण इलाकों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव रहा. अब तो प्रायः वे ही