एक बेरोजगार की भीष्म-प्रतिज्ञा!

     एक गाँव के एक लड़का को नौकरी मिलते-मिलते रह जाती थी। उसके पिता किसी निजी कम्पनी में उसे छोटा-मोटा काम भी नहीं करने देते थे; खानदान के इज़्ज़त का जो सवाल था। नौकरी नहीं मिलने के लिये वह लड़का अपने किस्मत को दोष देता जबकि उसके पिता आरक्षण को।
     एक दिन वह लड़का एक लैपटॉप की मांग अपने पिता से कर बैठा। उसके दहेज़ लोभी पिता ने उसे समझाया कि लैपटॉप उसकी शादी में दहेज़ में मिल जायेगा। इस पर वह लड़का भड़क गया। उस लड़के ने गुस्से में आकर एक भीष्म-प्रतिज्ञा कर डाली कि जब तक हमारे नेताजी प्रधान मन्त्री नहीं बन जाते तब तक वह शादी नहीं करेगा। उसने सबको बताया कि नेताजी के प्रधान मन्त्री बन जाने से सब बेरोजगारों को एक-एक स्मार्ट फोन मिल जायेगा और सभी को नौकरी भी मिल जायेगी। इस तरह देश की सभी समस्यायों का समाधान हो जायेगा।
     वह लड़का अब नेता बन गया और अपनी भीष्म-प्रतिज्ञा को पूरी करने में जुट गया। एक व्यक्ति अपनी उम्र की सीमा पार करने पर भी बेरोजगार रह गया था. उसने नये नेताजी से पूछ ही लिया। क्या कश्मीर और चीन समस्या का भी समाधान हो जायेगा? क्या महंगाई भी कम हो जायेगी? उस नये नेता ने बताया कि वह अपने बड़े नेता के कार्यालय में गया था. वहाँ इन समस्यायों का समाधान वहाँ पहुँचे कार्यकर्ताओं को विस्तार से बताया गया था. नये नेताजी ने देश की समस्यायों पर बिंदुवार रूप से समाधान बताया जो इस प्रकार है---
1. यह सबको मालुम है कि कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश/लद्दाख पर हमारे देश को कितना खर्च करना पड़ता है. कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश/लद्दाख से जितना हमारे देश को टैक्स मिलता है उससे कई गुना ज्यादा वहाँ खर्च करना पड़ता है. ऊपर से वहाँ सेना के रख-रखाव पर अलग से भारी-भरकम खर्च करना पड़ता है. पाकिस्तान का जन्म ही धर्म के आधार पर हुआ है. पाकिस्तान कभी भी कश्मीर मुद्दा को छोड़ नहीं सकता और हमारी पार्टी कश्मीर को एक बफर राज्य मानती है. अगर हम कश्मीर में नहीं लड़ेंगे तो पाकिस्तान हमारे देश के और अन्दर आकर लड़ने लगेगा और ज्यादा जन-हानि होगी। कश्मीर में पाकिस्तान सीमा पर होने वाली जन-हानि से हमारी ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था भी मजबूत होती है. कुल मिलाकर कश्मीर हमारे लिये कोई समस्या नहीं है.
     चीन से सीमा विवाद है लेकिन उसके सीमा पर कभी हिंसक झड़प नहीं होती। आपलोग विश्वास रखिये भारत-चीन सीमा विवाद पर झगड़ा टीवी और अख़बारों से बाहर आकर सीमा पर तबतक नहीं होगा जबतक हमलोग चीनी सामान खरीदते रहेंगे। यह भी याद रखिये चीन हमारे देश में कम गुणवत्ता वाली सस्ते सामान ही भेजता है. अगर इन सामानों को हम नहीं खरीदेंगे तो वही सामान जो अन्य देश से आयेगा या हमारे देश में बनाया जायेगा वह महँगा मिलेगा जिससे गरीब जनता में सरकार की छवि ख़राब होगी।
2. महंगाई नियन्त्रण के बारे में नये नेताजी ने बताया कि तेज विकास के साथ महँगाई आती ही है. आज जितने भी करोड़पति/अरबपति दिखाई दे रहे हैं उनमे से अधिकांश महँगाई बढ़ने के साथ-साथ उनके जमीन/मकानों के महँगे होने से ही करोड़पति/अरबपति हुए हैं. अगर जमीन के दाम नहीं बढे होते तो आज अपने देश में इतने करोड़पति और अरबपति भी नहीं होते। नियन्त्रित महँगाई से अर्थ-व्यवस्था में गतिशीलता बनी रहती है. इसलिये महँगाई से घबड़ाने की जरुरत नहीं है. कर्ज और विकास का सम्बन्ध का सबसे अच्छा उदाहरण अमरीका है. वर्ष 2008 में जहाँ अमरीका पर दस ट्रिलियन डॉलर कर्ज था वहाँ मात्र आठ वर्ष में कर्ज बढ़कर सत्रह ट्रिलियन डॉलर हो गया है. अगर अमरीका इतना भारी कर्ज नहीं लेता तो आज शायद वह दुनिया में सबसे धनी देश नहीं रह पाता। हमलोग भी कर्ज को समझने वाले अर्थ-शास्त्रियों को महत्वपूर्ण पदों पर आसीन करेंगे।
3. हमारे देश में लोहा पत्थर, चूना पत्थर, बॉक्साइट, सोना, थोरियम, कोयला, सीबीएम  आदि का इतना विशाल भण्डार है कि उन्हें बेंचकर इस देश के लोगों को अगले एक हजार साल तक खिलाया जा सकता है। ये सभी खनिज अभी बेकार में जमीन में पड़े हुए हैं। हो सकता है कि समय बीतने पर इनकी उपयोगिता ही ख़त्म हो जाय। इतने विशाल मात्रा में हमारे देश में खनिज सम्पदा रहने से इस देश को विदेशी कर्ज मिलने में दिक्कत भी नहीं होगी। जब हमारे पास इतनी मात्रा में बहुमूल्य खनिज सम्पत्ति है तब हमें चिन्ता करने की क्या जरुरत है? 
4. देश में आवश्यकतानुसार "दलाल विश्वविद्यालय" की स्थापना की जायेगी। दक्ष दलालो की कमी से हमारे देश को बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है. हमें विदेशों से महँगा हथियार एवम अन्य सामग्री, तकनीकि या सेवायें खरीदनी पड़ती है और अपने देश के सामानों को सस्ते में विदेशों में बेंचना पड़ता है. इससे बहुत से विधि-सम्मत दलालों को बड़ी संख्या में रोजगार भी मिलेगा और हम सस्ते में विदेशों से सामानों, तकनीकि और सेवायें खरीद पायेंगे और वाजिब दाम पर अपने देश में बने सामानों, तकनीकि और सेवाओं को बेंच पायेंगे। इस तरह हमारे देश को बहुत लाभ होगा।
5. रोजगार सृजन हेतु बहुत से रोजगार उन्मुखी योजनायें लागु की जायेंगी। जैसे--
सड़क मार्ग परिवहन को बढ़ावा दिया जायेगा। इससे सड़क निर्माण, वाहन निर्माण और उनके रख-रखाव हेतु बहुत बड़ी संख्या में या यूँ कहें कि करोड़ों लोगों को रोजगार मिलेगा। मध्यम और छोटी दूरी की एक ट्रेन चलने से करीब पचास व्यावसायिक और एक सौ से ज्यादा निजी गाड़ियां का परिचालन बाधित होता है. इससे बेरोजगारी बढ़ती है और पेट्रोल/डीजल पर मिलने वाला सरकारी राजस्व में कमी आती है. अतः रोजगार सृजन-योजना को और गति देने हेतु मध्यम और छोटी दूरी पर चलने वाली रेलगाड़ियों को धीरे-धीरे बन्द किया जायेगा। जब सड़क परिवहन बढ़ जायेगा तो पेट्रोल और डीजल पर मिलने वाले करों से सरकारी राजस्व में भी बेतहाशा वृद्धि होगी और आगे सरकार को नये कर भी नहीं लगाने पड़ेंगे।
6. मार्टिन लूथर किंग की तरह हमारे नेताजी ने भी एक सपना देखा है, लेकिन यह सपना कुछ दूसरे प्रकार का है. सपना में रक्षा सामग्री निर्माताओं के एक बड़े समूह का प्रतिनिधि बताता है कि EVM के निर्माण में उसके Program से जुड़े एक इंजीनियर से वह लगभग 2% समय आधारित वोट चुराने की व्यवस्था इस पार्टी हेतु कर देगा। कहा जाता है कि विन्सहरा का सपना सच होता है अतः हमारे नेताजी के सपने में भी दम है.
      नेताजी के इन तर्कों से प्रभावित होकर अब नये स्वरोजगार की आशा में वह अधेड़ बेरोजगार भी उसकी पार्टी में शामिल हो गया। अब ये दोनों अपनी पार्टी को मजबूत करने में जी जान से जुट गये. जब इन दोनों नेताओं से लोग सवाल पूछते कि क्या सड़क मार्ग परिवहन को ज्यादा बढ़ने से रोड जाम, वाहन दुर्घटना और प्रदूषण जैसी समस्यायें नहीं  बढ़ेंगी? इन सवालों पर नेताजी का जवाब होता कि ये सभी पुरानी समस्यायें हैं जो सभी देशों में विकास के समानान्तर ही पैदा हुई हैं. लेकिन इन समस्यायों ने बीमा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में करोड़ों रोजगार भी पैदा किये हैं. देश के नवजवानों को अपने लिये रोजगार चाहिये या इन समस्यायों पर रोते रहना। अब उन्हें इनमें से किसी एक को चुनना ही होगा।
    एक दिन दोनों नेता आपस में बात कर रहे थे. पहले ने बताया कि राजनीति के अलावे ऐसा कोई पेशा नहीं है जिसमे दस वर्ष की अल्पावधि में अरबपति बनने का अवसर मिल सके. क्या हमें अरबपति बनने का अधिकार नहीं है? क्या सरकारी नौकरी वाले जनता के पैसे से ऐश या मौज-मस्ती नहीं करते हैं? अब आस-पास देख लो; बहुत से होनहार ईमानदारी का ढोंग पीटते रह गये लेकिन अपने बेटियों की शादी भी ढंग से नहीं कर पाये; अपने बच्चों को ढंग से पढ़ा भी नहीं पाये। नेताजी ने बताया कि एक अच्छा CA से सम्पर्क बनाये रखना है जो अपना फ़ीस लेकर हमारी सारी काली कमाई को कृषि से हुआ आय दिखा कर उसे सफ़ेद करता रहेगा।

     बाल पक चले युवा बेरोजगार ने पहले नेताजी से पूछा कि बिना जन-संख्या नियन्त्रण के जब कोई भी देश बेरोजगारी दूर नहीं कर पाया है तो हम कैसे बेरोजगारी दूर कर पायेंगे? इस पर नेताजी गुस्से में आ गये और बोले कि ऐसा करने से हमारा वोट बैंक कमजोर हो जायेगा। उन्होंने आगे बताया कि गरीबों के वोटों का प्रबन्धन आसान होता है. गरीब "भेड़ और गरेड़ी" के सिद्धान्त पर चलते हैं. हमें तो सिर्फ "गरेड़ी" को ही मिलाना है. आगे गरेड़ी समझेगा कि उसे भेड़ियों को कैसे मिलाना है.
     हम अपने देश में अधिकांश लोगों को लाल कार्ड, पीला कार्ड और सफ़ेद कार्ड बनवा कर उन्हें सरकारी राशन के माध्यम खिलाने की क्षमता रखते हैं. हमें लगभग सत्तर प्रतिशत गरीब लोगों की मदद से शेष तीस प्रतिशत लोगों पर राज करना है. हमें दिन में गरीबों को समझाना है कि हम उनको पूंजीपतियों के शोषण से बचावेंगे और रात को पूंजीपतियों को समझाना है कि हमारी पार्टी उनकी रक्षा गरीबों से करते रहेगी। नेताजी आगे बताते हैं कि जिन लोगों को लगता है कि विकास का सपना दिखा कर भारत पर राज किया जा सकता है वे सभी लोग भ्रम में हैं.
     हमारे देश में प्रजातन्त्र है और प्रजातन्त्र में कुछ भी सम्भव है। हमारे देश में कुछ ऐसे भी प्रधान मंत्री हुए हैं जिनके बारे में शायद ही किसी ने चुनाव पूर्व सोचा होगा कि वे प्रधान मंत्री बन सकते हैं। इसलिये हमारे नेताजी भी एक न एक दिन जरूर प्रधान मन्त्री बनेंगे भले ही वे अपना कार्यकाल कई प्रधान मन्त्रियों की तरह पूरा नहीं कर पायें।
     बहुत से नवजवान और नौकरी मिलने की आशा छोड़ चुके बेरोजगार नेताजी के अनुयायी बन रहे हैं. नये नेताजी का प्रभाव गरीबों और बेरोजगारों में बढ़ रहा है. सभी से विनती है कि उस लड़के की इस भीष्म-प्रतिज्ञा को पूरी करने में उसकी पार्टी का समर्थन देकर उसकी मदद करें।
नोट: इस आलेख से असहमति रखने वालों से मैं क्षमाप्रार्थी हूँ। यह एक व्यंग्य ब्लॉग है. इसे गम्भीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है. पाठकों की खट्टी-मीठी टिप्पणियों का स्वागत रहेगा।  
https://Twitter.com/BishwaNathSingh

Comments

Popular posts from this blog

मानकी-मुण्डा व्यवस्था और Wilkinson Rule

एक दादा का अपनी पोती के नाम पत्र

बिहार के पिछड़ेपन के कुछ छिपे कारण!