तकनीकों से बदलती दुनिया और उसके पीछे-पीछे हमारा देश

    आजकल तकनीकों के सहारे दुनिया को बदलने का प्रयास चल रहा है और हमारा देश उसके पीछे-पीछे उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है. अगर हम इन नयी तकनीकों को नहीं अपनावेंगे तो हमें दुनिया में पिछड़ जाने के खतरों का सामना करना पड़ सकता है. हमारी नयी सरकार दुनिया से कदम से कदम मिलाकर चलने का पूरा प्रयास कर रही है. ऊर्जा क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है. बैटरी चालित कारें अब जल्दी ही जहरीली धुआं उगलती कारों के मूल्य से मुकाबला करने लायक होने वाली है. अभी भी लगभग तीस प्रतिशत ऊर्जा पेट्रोलियम उत्पादों से ही प्राप्त हो रही है. लेकिन धीरे-धीरे सौर/पवन ऊर्जा और हाइड्रोजन से प्राप्त ऊर्जा की मात्रा बढ़ रही है.
1. बढ़ती मोटर दुर्घटनाओं से लोग परेशान हैं और स्वचालित या चालकरहित वाहनों का इंतजार बेसब्री से कर रहे हैं. उत्खनन क्षेत्र में तो वॉल्वो कम्पनी द्वारा उत्पादित वाहन का उपयोग शुरू भी हो गया है. उत्खनन क्षेत्र से शुरू होकर स्वचालित या चालक रहित मोटर वाहन ड्रोन, जहाज और ट्रक होते हमारे शहरों में भी आने ही वाले हैं. अब इन्हे रोकना कठिन है लेकिन कब आयेंगे यह कहना कठिन है. ऐसे वाहनों के लिये अच्छी सड़कें बनानी पड़ेंगी जिससे धूलकण भी हमारे वातावरण में कम होंगे। जब ऐसे वहाँ आयेंगे तो पुराने वाहनों से होने वाले प्रदूषण स्वतः कम हो जायेंगे।
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2. हाइपरलूप यातायात:- 2013 से इस नये तरह के यातायात के साधन की चर्चा हो रही है. इस नयी पद्धति के जनक श्री एलन मस्क अब इसे साकार करने के निकट पँहुच गये. इसके सफल होने से वायु यातायात का एक सस्ता और अपेक्षाकृत सुरक्षित साधन उपलब्ध हो सकता है.
       
Just received verbal govt approval for The Boring Company to build an underground NY-Phil-Balt-DC Hyperloop. NY-DC in 29 mins.
— Elon Musk (@elonmusk) July 20, 2017

अमेरिका में इसके सफल होने पर बुलेट ट्रेन के बदले लोग निश्चित रूप से हाइपरलूप यातायात की मांग करेंगे और इस तकनीक से हमारी दुनिया के भी बदलने की सम्भावना है.
3. ऑनलाइन ख़रीदारी धीरे-धीरे बढ़ रही है. जब अगले दशक तक यह आधे से अधिक हो जायेगी तब ख़रीदारी हेतु उपयोग में लाये जाने वाले वाहनों की संख्या स्वतः उसी अनुरूप कम हो जायेंगे। तब कुरियर वाहन ज्यादा दिखायी देंगे। एक कुरियर वहाँ करीब पन्द्रह निजी वाहनों के बराबर होंगे। जब इस कारण वाहनों की संख्या कम हो जायेगी तो उसी अनुरूप प्रदूषण और ट्रैफिक की समस्या भी स्वतः कम होते जायेगी।
4. वर्ष 2019-2024 में सैटेलाइट आधारित इन्टरनेट आने वाली है. इस ग्रेग वेलर के नेतृत्व में उनकी दूसरी कम्पनी OneWeb बड़ी तेजी से प्रयासरत है. इसके अलावे FaceBook और Tesla  तथा अन्य कम्पनियाँ भी तेजी से अपना कार्य कर रही हैं. इस तकनीकी में मोबाइल टावर की आवश्यकता नहीं होगी। इसमें छत पर या खुले में एक टायरनुमा ऐंटेना सह वाई-फाई उपकरण लगाना होगा। अपने देश में OneWeb की सहयोगी कम्पनी एयरटेल है. इसी कम्पनी से इस उपकरण में लगने वाला सिम सहित सेट-टॉप बॉक्स खरीदना होगा। इस उपकरण के करीब 32 फीट की परिधि में इन्टरनेट से चलने वाले स्मार्टफोन, लैपटॉप, टीवी, टेबलेट पीसी आदि क्रियाशील होंगे। वाहनों में भी ऐसे उपकरण लगाये जा सकते हैं. यदि सेवा वर्तमान की इन्टरनेट सेवा से सस्ती हुई तो यह तकनीकि हमारी दुनिया बदलने वाली साबित हो सकती है.
    FaceBook अपने अक्विला ड्रोन के सहारे दुनिया भर में इन्टरनेट उपलब्ध कराने की एक प्रणाली विकसित कर रहा है. बताया जाता है कि उसके हजारों सौर ऊर्जा चालित ड्रोन पृथ्वी की सतह के लगभग साठ हजार फीट की ऊंचाई पर महीनों चक्कर लगाते हुए दुनिया भर में लोगों को इन्टरनेट की सेवा प्रदान करेंगे।
    अब तो समय ही बतायेगा कि इनमे से कौन सी कम्पनी लोगों को अपनी सस्ती और गुणवत्तापूर्ण इन्टरनेट सेवा देकर लाभ कमाने से सफल हो पाती है.
5. सोलर पैनल के विकास में perovskite तकनीकि अब प्रयोगशाला से निकल कर कारखानों में पँहुचने वाली है. इससे सोलर पैनल की कीमत में कमी आने की सम्भावना है. इसके साथ ही सोलर पैनल की दक्षता भी बढ़ेगी। सोलर पैनल की दक्षता बढ़ाने में बहुत सी कम्पनी और तकनीकि संस्थान लगे हुए हैं. यानि कम जगह में भी अधिक सोलर पावर प्राप्त किया जा सकेगा। इससे हमारे छतों पर सोलर पावर के विकास में मदद मिलेगी। यह तकनीकि बिजली को सस्ती कर हमारी दुनिया बदल सकती है.
6. आजकल चालक रहित गाड़ियों की चर्चा बहुत की जा रही है. वॉल्वो कम्पनी का pay loader तो कुछ खदानों में बिना चालक के ही काम भी कर रहा है. अपने देश में भी दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन पर चालक रहित ट्रेन चलने वाली है. सात-आठ साल के अन्दर ही खदान, समुद्री जहाज और ड्रोन होते हुए कारें भी सड़कों पर बिना चालक के ही दौड़ते नज़र आ सकती हैं, लेकिन तब यह कहना मुश्किल होगा कि वे सब गाड़ियां चलता-फिरता रोबोट है या फिर वही पुरानी कारें। अगर ऐसी गाड़ियां आयीं तो मानव भूल के कारण होने वाली बहुत सी बहुमूल्य जिन्दगियाँ बच जायेंगी। अगले अक्टूबर से दिल्ली मेट्रो की मैजंटा लाइन की मेट्रो ट्रेनें भी बिना चालक के ही चल सकती हैं.
7. नोटेबंदी के क्रम में Payment Corporation of India द्वारा बनाये गये UPI की खूब चर्चा हुई थी. लेकिन अब इसके बारे में मीडिया में कम ही सुनायी दे रहा है. यह एक काफी प्रभावशाली तकनीक है और देर-सबेर इसको प्रचलन में आना ही है. अगर यह प्रभावी ढंग से लागू हो गया तो बैंक शाखाओं के अतिरिक्त अन्य जगहों पर एटीएम बूथ की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। अर्थात यह तकनीक भी हमारी जिन्दगी में बड़ा बदलाव लाने वाला है. UPI से पैसे का लेन-देन के सफल होने से हमारा देश भी दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो जायेगा।
    इसी तरह अन्य क्षेत्रों में भी जैसे ईंट बनाने वाली मशीन, खेतों में जुताई, बोआई से कटाई करने वाली तरह-तरह की मशीने आ रही हैं. अर्थात हमारे जीवन के प्रायः हर क्षेत्र में मशीनों और स्वचालन का प्रभाव बढ़ने वाला है. रिलायंस जिओ भी अपनी सस्ती इंटरनेट सेवा से हमारे देश में संचार क्रान्ति ला रहा है. जल्दी ही इससे वार्तालाप की शक्ति का प्रदर्शन होगा। यह शक्ति हमारे देश की राजनैतिक जड़ता को तोड़ सकती है.
    हमारे देश में अर्थ-व्यवस्था, विज्ञानं और राजनैतिक व्यस्था में एक सकारात्मक तालमेल बन रहा है. इन सब तकनीकों से निश्चित रूप से हमारी दुनिया में भी काफी बदलाव आयेंगे। हमें इन सभी वास्तविकताओं का सामना करने हेतु अभी से ही तैयारी करनी चाहिये अन्यथा भूमण्डलीकरण के इस युग में पीछे छूट जायेंगे।
नोट:- यह ब्लॉग मेरी व्यक्तिगत जानकारी और सार्वजनिक मंचों पर उपलब्ध जानकारियों पर आधारित है. इसके किसी तथ्य से मतभेद रखने वालों से मैं क्षमाप्रार्थी हूँ. पाठकों की खट्टी-मीठी टिप्पणियों का सदैव स्वागत रहेगा।
https://Twitter.com/BishwaNathSingh
   

Comments

  1. As they said, knowledge is increasing geometrically. I have seen this. There will be no work for human beings after a century.

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