बच्चों की Security और सेफ्टी पर कुछ चिन्ता
आये दिन स्कूलों में बच्चों की Safety और Security से उत्पन्न खतरों के समाचार टीवी, सोशल मीडिया और अख़बारों पर आ रहे हैं. हाल ही में हुए रेयान स्कूल, गुरुग्राम में एक सात वर्षीय बालक प्रदुम्न की निर्मम हत्या की घटना ने तो पूरे देश को झकझोर कर ही रख दिया है। उसके एक दिन बाद दिल्ली के एक स्कूल से एक पॉँच वर्षीय बालिका के साथ हुए पाश्विक बलात्कार की घटना ने तो अभिभावकों के जले पर नमक छिड़क दिया. स्कूल बसों एवम अन्य स्कूल वाहनों से बच्चों के मरने या उनके जख्मी होने के समाचार तो आम हो चले हैं. अब समय आ गया है कि बच्चों के Security और उनके Safety पर वाजिब चिन्ता जाहिर करते हुए इनपर आवाज उठायी जाये।
रेयान स्कूल, गुरुग्राम की घटना इसलिये भी अत्यन्त चिन्ताजनक है क्योंकि वह स्कूल अपने देश के लगभग 140 स्कूलों वाले एक बहुत ही नामी स्कूल में घटी है. नामी स्कूल प्रबन्धन से उम्मीद की जाती है कि वे अपने नाम के अनुरूप ही अपने स्कूलों में बच्चों की Security और Safety हेतू उचित प्रबन्ध किये होंगे। आज ही यानि 14.09.2017 को एक और दुःखद समाचार आया कि मलेशिया की राजधानी कुआला लम्पुर के एक स्कूल में आग लगने से तेईस बच्चों और एक शिक्षक सहित कुल 25 की मृत्यु हो गयी. जब इस तरह के ह्रदयविदारक समाचार किसी देश के राजधानी से आवे तो यह बात और ही चिन्ता उत्पन्न करती है.
1991 के बाद हमारे देश में उदारीकरण और भूमण्डलीकरण का युग प्रारम्भ हुआ. इस काल में शिक्षा के प्रायः हर क्षेत्र में अन्धाधुन्ध व्यवसायीकरण हुआ है. इसके विपरीत सरकारी स्कूलों में नये शिक्षकों को ठेका पर रखा जा रहा है. सरकारी स्कूलों में किन्ही कारणों से बहुत से पद रिक्त भी पड़े हुए हैं. ठेका पर शिक्षकों को रखना और बड़ी संख्या में शिक्षकों के पदों को रिक्त रखना सामान्य लोगों के लिये किसी पहेली से कम नहीं है.
ख़ुशी की बात यह है कि बच्चों की Security और Safety के सम्बन्ध में एक जनहित याचिका सर्वोच्च न्यायलय में स्वीकार की गयी है. इस याचिका में बच्चों की Security और Safety के सम्बन्ध में उचित दिशा-निर्देश जारी करने की माँग की गयी है. उम्मीद है कि शीघ्र ही माननीय सर्वोच्च न्यायलय द्वारा कड़े दिशा-निर्देश जारी किये जायेंगे।
यह एक सर्वमान्य अकाट्य तथ्य है कि कोई भी अधिकारी बिना स्वार्थ के कोई नियम विरुद्ध कार्य नहीं करता है. ऐसे में यह तथ्य सभी को यह मानने को बाध्य करता है कि स्कूल प्रबन्धन और सम्बन्धित अधिकारियों के बीच कोई मिली-भगत है. बिना इस मिली-भगत को तोड़े भविष्य में स्कूली बच्चों की Security और Safety को सुनिश्चित करना बहुत कठिन होगा। अब सबकी निगाहें इन चिन्ताओं पर शासन, प्रशासन और न्यायपालिका द्वारा किये जाने वाली कार्यवाइयों पर टिकी हुई हैं. बच्चे ही हमारे भविष्य हैं और उनकी चिन्ता करना हम सबका एक पुनीत कर्तव्य है.
नोट:- यह ब्लॉग मेरे अनुभव और Public Domain में उपलब्ध जानकारियों तथा कुछ लोगों से किये गये अनौपचारिक वार्तालापों पर आधारित है. पाठकों की खट्टी-मीठी टिप्पणियों का सदैव स्वागत रहेगा।
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1. Pramod Srivastava @pksrivastava6 14.09.2017
रेयान स्कूल, गुरुग्राम की घटना इसलिये भी अत्यन्त चिन्ताजनक है क्योंकि वह स्कूल अपने देश के लगभग 140 स्कूलों वाले एक बहुत ही नामी स्कूल में घटी है. नामी स्कूल प्रबन्धन से उम्मीद की जाती है कि वे अपने नाम के अनुरूप ही अपने स्कूलों में बच्चों की Security और Safety हेतू उचित प्रबन्ध किये होंगे। आज ही यानि 14.09.2017 को एक और दुःखद समाचार आया कि मलेशिया की राजधानी कुआला लम्पुर के एक स्कूल में आग लगने से तेईस बच्चों और एक शिक्षक सहित कुल 25 की मृत्यु हो गयी. जब इस तरह के ह्रदयविदारक समाचार किसी देश के राजधानी से आवे तो यह बात और ही चिन्ता उत्पन्न करती है.
25 people, mostly teenage boys, killed in Malaysia school fire.https://t.co/YyG74VeTOS pic.twitter.com/v6Cb13ltO0— Yahoo Singapore (@YahooSG) September 14, 2017
बच्चों की Security और Safety में अन्तर करना आवश्यक है. यहाँ पर Security का आशय बच्चों को किसी अन्य व्यक्ति से उत्पन्न खतरों जैसे यौन-उत्पीड़न, मारपीट, हत्या, अपहरण आदि से बचाव से है. इसी तरह Safety का आशय मोटर दुर्घटना, आग लगने, भवन ढहने, बिजली के कर्रेंट लगने, ऊंचाई से गिर जाने, फिसल जाने आदि खतरों से बचाव से है.
हमारे देश के सम्विधान की प्रस्तावना में ही "समाजिक एवम कल्याणकारी राष्ट्र" की बात लिखी हुई है. इसके अलावे हमारे सम्विधान में शिक्षा को समवर्ती सूची में रखा गया है. इस कल्पना को साकार करने हेतु केन्द्र और राज्यों में शिक्षा मन्त्रालय का गठन किया गया है. हमारे देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम(RTE) भी लागू है. इस अधिनियम के कुछ प्रावधानों को गैर-जमानतीय अपराध की श्रेणी में रखा गया है.बहुत से ऐसे स्कूल वैसे रिहाइशी इलाकों में बनाये गये हैं जहाँ आग लगने पर फायर ब्रिगेड की गाड़ियों का पँहुचना कठिन ही नहीं बल्कि असम्भव है. क्या यह सम्बन्धित अधिकारियों के मिली-भगत के बिना सम्भव है? अब बताया जा रहा है कि स्कूलों के पंजीकरण और उन्हें लाइसेंस देते समय बच्चों की Security और Safety से जुड़े सभी पहलुओं पर उचित जाँच-पड़ताल की जाती है. यह भी टीवी पर बताया जा रहा है कि प्रतिवर्ष Security और Safety से जुड़े सभी पहलुओं पर उचित निरीक्षण CBSC, ICSE आदि केन्द्रीय स्कूल शिक्षण संस्थानों द्वारा किया जाता है. इसी तरह इन स्कूलों के निरीक्षण प्रतिवर्ष राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा भी किया जाता है. जिला-पदाधिकारी द्वारा स्वयम या उनके द्वारा प्रतिनियुक्त किसी सक्षम अधिकारी द्वारा स्कूलों के औचक निरीक्षण का भी प्रावधान है.
1991 के बाद हमारे देश में उदारीकरण और भूमण्डलीकरण का युग प्रारम्भ हुआ. इस काल में शिक्षा के प्रायः हर क्षेत्र में अन्धाधुन्ध व्यवसायीकरण हुआ है. इसके विपरीत सरकारी स्कूलों में नये शिक्षकों को ठेका पर रखा जा रहा है. सरकारी स्कूलों में किन्ही कारणों से बहुत से पद रिक्त भी पड़े हुए हैं. ठेका पर शिक्षकों को रखना और बड़ी संख्या में शिक्षकों के पदों को रिक्त रखना सामान्य लोगों के लिये किसी पहेली से कम नहीं है.
ख़ुशी की बात यह है कि बच्चों की Security और Safety के सम्बन्ध में एक जनहित याचिका सर्वोच्च न्यायलय में स्वीकार की गयी है. इस याचिका में बच्चों की Security और Safety के सम्बन्ध में उचित दिशा-निर्देश जारी करने की माँग की गयी है. उम्मीद है कि शीघ्र ही माननीय सर्वोच्च न्यायलय द्वारा कड़े दिशा-निर्देश जारी किये जायेंगे।
यह एक सर्वमान्य अकाट्य तथ्य है कि कोई भी अधिकारी बिना स्वार्थ के कोई नियम विरुद्ध कार्य नहीं करता है. ऐसे में यह तथ्य सभी को यह मानने को बाध्य करता है कि स्कूल प्रबन्धन और सम्बन्धित अधिकारियों के बीच कोई मिली-भगत है. बिना इस मिली-भगत को तोड़े भविष्य में स्कूली बच्चों की Security और Safety को सुनिश्चित करना बहुत कठिन होगा। अब सबकी निगाहें इन चिन्ताओं पर शासन, प्रशासन और न्यायपालिका द्वारा किये जाने वाली कार्यवाइयों पर टिकी हुई हैं. बच्चे ही हमारे भविष्य हैं और उनकी चिन्ता करना हम सबका एक पुनीत कर्तव्य है.
नोट:- यह ब्लॉग मेरे अनुभव और Public Domain में उपलब्ध जानकारियों तथा कुछ लोगों से किये गये अनौपचारिक वार्तालापों पर आधारित है. पाठकों की खट्टी-मीठी टिप्पणियों का सदैव स्वागत रहेगा।
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1. Pramod Srivastava @pksrivastava6 14.09.2017
आवश्यक है कि हर स्कूल में पेरेंट्स, जिला अधिकारी व् स्कूल के प्रतिनिधियों
की समिति गठित हो जो प्रति माह व्यवस्थाओं की समीक्षा करें.
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