महंगाई के लाभ(एक हल्का व्यंग्य)


यद्यपि कि महंगाई पर लोग अधिक रोते ही हैं: शिकायत करते रहते हैं लेकिन महंगाई के कुछ लाभ भी हैं।


1. व्यक्ति को होने वाले लाभ: जब आमदनी स्थिर हो जाये तब महंगाई से निपटने हेतु या तो कुछ कमाने का यत्न करना पड़ेगा या बचाने का। कमाने हेतु जड़ता त्यागनी पड़ती है। विज्ञान का नियम भी है कि चाहे स्थितिक जड़ता हो या गतिशील जड़ता उसकी अवस्था परिवर्तन हेतु बल का उपयोग करना पड़ता है। परिवार के जो सदस्य स्थितिक जड़ता में हों कमाने हेतु बल लगाकर गतिशील जड़ता में चले जायेंगे तो फिर उनकी आमदनी बढ़ जायेगी। व्यक्ति अपने उपलब्ध जमीन/गमला में गार्डेनिंग तो कर ही सकता है।

यदि जब व्यक्ति कुछ बचाने हेतु वाह्य खाने पीने में कमी करेगा या कुछ दूर की दूरी पैदल ही चलकर कुछ पैसा बचायेगा तो उसके परिवार में चिकित्सा बिल में भी काफी कमी आ जायेगी।

2. व्यवसायी को होने वाले लाभ: महंगी से व्यवसायी के द्वारा प्रदत्त सेवा या वस्तु के मूल्य भी बढ़ जाते हैं। अर्थात स्वतः लाभ होने लगता है। दूसरी तरफ व्यवसायी बिना मूल्य बढ़ाये प्रतिस्पर्धात्मक होकर भी अपना लाभ बढ़ा सकता है। इसके अलावे उनके स्टॉक में पड़े माल का मूल्य तो अपने आप बढ़ गया। यदि किसी को महंगाई का सबसे अधिक लाभ मिलता है तो वह व्यापारी वर्ग ही है 

3. यूनियन। नेता या विपक्षी नेताओं को अपने लोगों के बेहतरी हेतु आवाज उठाने का अच्छा अवसर मिल जाता है। अर्थात जिन नेताओं को कोई नहीं पूछता उनका भी समाज में महत्व बढ़ जाता है।

4. ठेकेदारों को होने वाले लाभ: महंगाई के अनुरूप ही ठेका के प्रायः सभी खर्चे बढ़ने लगते हैं। ठेकेदार अपने कार्यों का बजट एस्टीमेट बढ़वा ही लेते हैं। इसमें उन्हें महंगाई के पूर्व किये कार्यों का भी बिल बढ़ने का अवसर मिल जाता है।

5. समाज के बुद्धिजीवियों को होने वाला लाभ: महंगाई बढ़ने से मृतप्राय बुद्धिजीवी भी कुछ बोलने लगता है और पहले की अपेक्षा अधिक गतिशील हो जाता है। सभी जानते हैं कि गतिशील बुद्धिजीवी का स्वास्थ्य अपेक्षाकृत अच्छा होता है।

7. किसानों को होने वाला लाभ: महंगाई किसानों को मितव्ययी बनाकर उसके अधिकारों का स्मरण कराती है।

6. सरकार को होने वाले लाभ: सरकार को महंगाई के अनुरूप ही टैक्स की वसूली बढ़ने लगती है। मान लिया कि महंगाई औसतन दस प्रतिशत बढ़ी लेकिन महंगाई भत्ता तो उसे तीन प्रतिशत ही देना पड़ेगा।

इस तरह महंगाई बढ़ने से समाज के सभी अंगों की जड़ता में परिवर्तन आता है। एक तरह से गतिशील होता है और देश प्रगति करता है। यदि आप मानते हैं कि महंगाई एक आपदा है तब आपको यह भी मानना पड़ेगा कि आपदा में भी अवसर होता है। अतः इस अवसर का लाभ उठाईये। महंगाई प्रायः भोले भाले लोगों को ही कष्ट देती है। चालू लोग तो महंगाई के हर दौर में लाभान्वित रहे हैं।

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