नेताजी का ऑनलाइन चुनाव-प्रचार
पहले सामान्य लोगों को जब अपनी पीड़ा बताने हेतु विधायक महोदय के पास जाना पड़ता था। वहाँ पीड़ितजनों को बहुत ही मुश्किल से विधायक महोदय से भेंट हो पाती थी।
फिर दूरसंचार क्रांति हुई और फोन सुलभ और सस्ता हो गया। अब पीड़ितजन फोन पर विधायक महोदय को अपनी पीड़ा बताने का प्रयास करने लगे। लेकिन कुछ सौभाग्यशाली पीड़ित को ही विधायक महोदय से बात हो पाती थी। इस समस्या में विधायक प्रतिनिधि नामक एक नया अवैतनिक पद का सृजन हुआ।
फिर आया सोशल मीडिया का युग और पीड़ितजनों के हाथ में स्मार्टफोन नामक एक नया खिलौना आ गया। लेकिन विधायक महोदय कुछ और दूर होते चले गये। वे फीता काटने के फोटो, शुभकामना संदेशों, किसी समारोह में शामिल होने के फोटो आदि साझा करने में ही सिमट कर रह गये।
अब आ गया कोरोना काल में चुनाव और चुनाव आयोग का नया फरमान। फरमान के अनुसार विधायक, पूर्व विधायक और विधायक बनने के आकांक्षी नेता को चुनाव प्रचार सोशल मीडिया पर ही करना है।
अब आप ही सोचिये कि जो नेता सामान्य मतदाताओं से फोन पर बात नहीं करना चाहते थे या सोशल मीडिया पर मनमोहन सिंह बने रहे थे उन्हें उन्ही मतदाताओं से सम्पर्क करना है।
क्या यह चुनाव सम्पर्क सार्थक होगा?
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