Energy War भाग - 1(प्राकृतिक गैस)

 Energy War का एक पहलू - प्राकृतिक गैस।

कहा जाता है कि अभी विश्व में आयातित प्राकृतिक गैस की खपत प्रतिवर्ष लगभग दो हजार bcm अर्थात अरब घन मीटर है। इसमें से लगभग चार सौ बीसीएम प्राकृतिक गैस की खपत यूरोप में प्रतिवर्ष होती है। यूरोप प्रतिवर्ष लगभग 155 बीसीएम प्राकृतिक गैस रूस से खरीदता था। ये सभी गैस रूस से पाइप लाइन से आता था। पाइप लाइन से आपूर्ति यूक्रेन युद्ध के चलते अभी बंद है।



इसकी भरपाई हेतु पांच एलएनजी टैंकर यूरोप को प्रति दिन चाहिए। इसके अलावे एक एलएनजी टैंकर को दुबारा एलएनजी लाने में औसतन बीस दिन लगते हैं।

चूंकि एलएनजी टैंकर रातों रात बनाया नहीं जा सकता अतः एलएनजी टैंकर की कमी से प्राकृतिक गैस का मूल्य बढ़ने की प्रबल सम्भावना है।

आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है। जब प्राकृतिक गैस महंगा होगा तो वैज्ञानिक और इंजीनियर उसके विकल्पों के विकास में तेजी से लग जायेंगे। यही मानव सभ्यता की परम्परा रही है। प्राकृतिक गैस के कुछ विकल्प - 1. कोयला 2. सोलर पावर 3. Wind Power 4. Pumped Hydro electric 5. हाइड्रोजन। इसके अलावा सदाबहार लकड़ी तो है ही। कोयला के पूर्व तो लोग लकड़ी जलाकर ही तो खाना बनाने से लेकर घर को गर्म करने का कार्य किया करते थे।

प्राकृतिक गैस का रूस के अतिरिक्त अन्य देशों से यूरोपीय संघ में आयात- 

1. यूरोप के नॉर्वे देश में प्राकृतिक गैस प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। आवश्यकता तो इस बात की है उस गैस की आपूर्ति यूरोप के अन्य उपभोक्ता देशों को कैसे की जाये? कुछ समाचारों के अनुसार शीघ्र ही दस अरब घन मीटर प्रतिवर्ष की क्षमता वाली पाइप लाइन बन कर तैयार हो जायेगा। इसके अलावे एशियाई देश अज़रबैजान से इसी तरह की क्षमता वाली गैस पाइप लाइन से शीघ्र ही गैस की आपूर्ति होने लगेगी। 

2. अमेरिका, कनाडा, अल्जीरिया आदि मित्रवत देशों में प्राकृतिक गैस प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। वहां एलएनजी हेतु आधार भूत अतिरिक्त ढांचों विकास किया जा रहा है। इसी तरह यूरोपीय संघ के समुद्र तटीय देशों के समुद्र तट के पास एलएनजी से पुनः उपयोग में लाने लायक उचित आधारभूत संरचना का विकास किया जा रहा है।

इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि यूरोपिय देश अन्य उपभोक्ता देशों से धनी हैं। यह भी एक अकाट्य सत्य है कि बाजार में बिकने वाली सभी वस्तुओं और सेवाओं(एलएनजी टैंकर) पर पहला अधिकार धनी लोगों का ही होता है। ऐसे में उक्त सभी विकल्पों का सहारा लेकर यूरोपीय देश Energy War की दिशा दूसरी तरफ मोड़ दे सकते हैं। 

जैसे जैसे प्राकृतिक गैस के विकल्प अर्थात सोलर, विंड पावर और बैटरी का विकास होता जायेगा वैसे वैसे एलएनजी का उपयोग भी कम होने लगेगा। कुछ लोगों का कहना है कि तीन वर्ष के अंदर यूरोपीय संघ ऊर्जा के मामले में यूक्रेन युद्ध के पूर्व की स्थिति में आ जायेंगे। यदि ऐसा हुआ तो Energy War में यूरोपीय संघ विजयी होगा तब तक यूरोप के लोगों को इस युद्ध युद्ध का कष्ट झेलना ही पड़ेगा। तबतक यूरोपीय संघ को अन्य वस्तुओं के निर्यात करने वाले देश भी अपने निर्यात की हानि का दुष्परिणाम झेलते रहेंगे।

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