धर्मान्तरण के कुछ अजीबो-गरीब तरक़ीब! (For Adults Only)

     इधर कुछ वर्षों से धर्मान्तरण पर बहुत कुछ पढ़ने और देखने हेतु सभी तरह के मीडिया में सामग्री मिल रही है. इस विषय पर काफी बहस भी हो रही है. बहुत से नकली बाबाओं की पोल भी खुल रही है. यह तो सर्व विदित है कि नकली बाबाओं के फलने-फूलने के पीछे हमारे समाज में व्याप्त अन्ध-विश्वास एक बड़ा कारण रहा है. कुछ को विश्वास है कि "बाबा" हमारी पुरानी बीमारी ठीक कर देंगे; "बाबा" हमें जल्दी धनी होने की तरक़ीब बता देंगे तो कुछ को विश्वास है कि "बाबा" की कृपा से बाँझ औरतों को भी सन्तान-सुख प्राप्त हो जायेगा। बहुतों को विश्वास है कि "बाबा" की कृपा से प्रोन्नत्ति हो जाएगी, उनकी कृपा से शादी जल्दी हो जाएगी या उनकी कृपा से व्यवसाय फलने-फूलने लगेंगे। कहा तो यह भी जाता है कि बाबा की कृपा से मिलने वाले सुखों का कोई अन्त नहीं है. इन्ही सब सुखों की लालसा का लाभ "बाबा" के दलाल उठाते हैं और अन्ध-विश्वासियों को "बाबा" के पास जाने के दुष्प्रेरित करते रहते हैं.
     सभी तरह के अन्ध-विश्वासों के जड़ में गरीबी और अशिक्षा ही है. सभी तरह के सुखों की चाहत और वह भी आसान नुस्खे अपनाकर अशिक्षित गरीबों और लालची अमीरों को बाबा के पास खींचे लिये जाता है. ऐसे तो हर इंसान बेहतर जिन्दगी चाहता है पर कुछ इसे बिना श्रम-बुद्धि लगाये ही प्राप्त करना चाहते हैं. मनुष्य की इन्ही सब कमजोरियों का लाभ कुछ लोग धर्मान्तरण कराने के लिये भी उठाते रहते हैं और अजीबो-गरीब तरकीब अपनाते हैं. जंगली क्षेत्रों में कार्य कर चुके कुछ लोगों के अनुसार धर्मान्तरण हेतु निम्नलिखित तरकीब भी अपनाये जाते हैं---
1क.  पानी भरे बाल्टी में मूर्ति डुबोने की तरक़ीब:-- "बाबा" अपने मकसद को पूरा करने में अपने काम को सुगम बनाने हेतु कम से कम दो चेला रखते हैं. चेला का काम होता है दूर दराज के गावों में रहने वाले गरीब लोगों को इकठ्ठा करना और उनमे भ्रम पैदा कर अपने बाबा के चमत्कारी करतबों को देखने हेतु प्रेरित करना। जब ग्रामीण इकट्ठे हो जाते है तब "बाबा" अपना चमत्कार दिखाना शुरू करते हैं. एक बाल्टी में पानी भरा जाता है और लकड़ी से बनी तीन विभिन्न धर्मों के इष्ट देवता की मूर्तियों को प्रदर्शित किया जाता है. सबसे पहले एक ऐसे धर्म के इष्ट देवता की मूर्ति पानी में डाली जाती है, जिसमें बड़ी चतुराई से धातु के भारी टुकड़े को छिपाया रहता है. जाहिर है यह मूर्ति पानी में डूब जाती है. मूर्ति के पानी में डूब जाने पर उपस्थित ग्रामीणों को समझाया जाता है कि "यह धर्म डूब रहा है; अगर इस धर्म के साथ आपलोग जुड़े रहोगे तो आपसबों का पतन निश्चित है". अब दूसरी मूर्ति पानी में डाली जाती है. इस मूर्ति में काँटी ठोकी हुई रहती है, जिस कारण यह मूर्ति धीरे-धीरे पानी में डूबती है. इसपर ग्रामीणों को समझाया जाता है कि यह धर्म भी अब कमजोर पड़ता जा रहा है. अन्त में विशुद्ध लकड़ी की मूर्ति पानी में डाली जाती है जो छतलाने लगती है. इसपर "बाबा" और उनके चेले इस मूर्ति पर बने इष्ट देवता का जयकारा करने लगते हैं.
1ख. जीप स्टार्ट करने की तरक़ीब:-- कुछ ही दिनों के बाद उस गाँव में जीप पर सवार होकर दूसरा दल आता है और अपना जीप बन्द कर उसपर सवार चेलों को गाँव में भेजकर वहाँ के ग्रामीणों को बुलवाया जाता है.  उन ग्रामीणों को बताया जाता है कि बाबा का जीप बन्द हो गया है, लेकिन ठेलने से चालू यानि स्टार्ट हो जायेगा और जीप ठेलने का अनुरोध ग्रामीणों से किया जाता है. भोले-भाले ग्रामीण जीप ठेलने के लिये सहर्ष तैयार हो जाते हैं. सबसे पहले एक धर्म विशेष के बलशाली देवता का जयकारा लगाते हुए जीप ठेला जाता है, लेकिन जीप स्टार्ट नहीं होता। अब दूसरे धर्म के एक बलशाली योद्धा का जयकारा करते हुए जीप ठेला जाता है; अब भी जीप स्टार्ट नहीं होता। अन्त में "बाबा" और उनके चेले अपने धर्म के देवता का जयकारा करते हुए ग्रामीणों से जीप ठेलवाते हैं. अब जीप का चालक योजनानुसार जीप को चाभी से स्टार्ट कर देता है. "बाबा" और उनके चेले जोरजोर से अपने धर्म के इष्ट देवता का जयकारा करते हैं और ग्रामीणों को समझाते हैं कि "अब इसी धर्म का बोलबाला होने वाला है. अतः आपलोग भी इसी धर्म को अपना लें". जीप ठेलने के मेहनताना स्वरुप ग्रामीणों को काजू-किशमिश और अच्छा बिस्कुट खाने को दिया जाता है. "बाबा" और उनके चेले किसी न किसी बहाने उस गाँव में आते रहते हैं और ग्रामीणों विशेषकर उनके बच्चों को काजू-किशमिश और अच्छा बिस्कुट खाने को देते रहते हैं. इस तरह बाबा उस गाँव के लोगों को धर्मान्तरण के तैयार कर लेते हैं.
     अब बड़े "धार्मिक बाबा" उस गाँव में आते हैं और पहले से तैयार किये गये भोले-भाले गरीब ग्रामीणों को समारोहपूर्वक विधिवत धर्म परिवर्तन कराते हैं.
2. यौन-शोषण के बहाने:- कोल्हान या अधिकतर जंगली इलाकों में यह रिवाज है कि लड़कियां ही अपने पसन्द का लड़का अपने विवाह हेतु चुनेंगी। इस रिवाज का लाभ उठाते हुए तीन बालिग लड़कों का एक टीम एक अच्छा मोटर साइकिल पर सुदूर गाँव में घूमने लगता है. उस टीम में एक भाड़े का नासमझ लड़का इलाके के बिरादरी का ही होता है. टीम के दो अन्य सदस्य उस लड़के के बारे में बताते हैं कि "इसका एक बैंक में नौकरी लग गया है और अच्छा कमा रहा है तथा अभी छुट्टी पर आया हुआ है". कुछ ही दिनों में कोई न कोई लड़की उन लड़कों के जाल में फंस जाती है. अब उस लड़की को खूब घुमाया जाता है और उसपर खूब खर्च किया जाता है. They are well funded and trained to trap young girls.
      जो लड़की पहले हँड़िया/डिएंग ही पी पायी रहती है अब अंग्रेजी शराब पीकर अपना सुध-बुध खोने लगती है. स्थिति का लाभ उठाते हुए उस लड़की का यौन-शोषण किया जाता है. इस क्रम में वियाग्रा का बहुत ज्यादा उपयोग होता है. लड़की से यह भी चैलेंज किया जाता है कि अगर उसके समाज में कोई लड़का उसे इतना सेक्स सुख दे सके तो वह हर प्रकार से दण्ड भुगतने को तैयार है. वह भोली भाली लड़की वियाग्रा की ताक़त को समझ ही नहीं पाती। जब यौन-शोषण के बाद लड़की जाल में फंस जाती है तब साथ के स्थानीय लड़का को कुछ पैसा और गिफ्ट देकर हटा दिया जाता है और उसे अपने गाँव लौटा दिया जाता है.
       अब यौन-शोषण के परिणाम स्वरुप लड़की गर्भवती हो जाती है तब उस लड़की को दोनों लड़के अपने समाज में पँहुचा देते हैं जहाँ उस गर्भवती लड़की का खूब आव-भगत होता है. शीघ्र ही वे दोनों लड़के भी अपने वाहन से गायब हो जाते हैं. जब पीड़िता को सच्चाई का पता चलता है तब उसकी दुनिया लुट चुकी होती है और विरोध या प्रतिकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। कुछ दिन के बाद उस लड़की का धर्मान्तरण कराकर उसकी शादी किसी पुरुष से करा दी जाती है. पुनः यह सिलसिला आगे चलते रहता है.
3. दुनिया समाप्त होने की अफवाह का लाभ उठाकर:-   प्रायः हर दस-पन्द्रह साल के अन्तराल पर दुनिया के समाप्त होने की अफवाह सदियों से फैलती रही है. ऐसी परिस्थिति में धर्मान्तरण कराने वाले धूर्त पुजारी ऐसे अफवाह के फैलने में दुष्प्रेरक की अपनी भूमिका कारगर ढंग से निभाते हैं. इससे भोले-भाले ग्रामीणों में धन-संचय की प्रवृत्ति कम होने लगती है और इसी अनुरूप उनकी आर्थिक गतिविधि भी कम होते जाती है. इस अवसर का लाभ उठाकर धर्मान्तरण के ठेकेदार लोगों को तबतक मौजमस्ती की सलाह प्रवचन के माध्यम से देते रहते हैं. चूँकि मौजमस्ती का जीवन मेहनत की कमाई से लगभग असम्भव है अतः पैसे के बल पर सुख-सुविधा और स्वादिष्ट बिस्कुट, काजू-किशमिश आदि खिलाकर भोले-भाले ग्रामीणों का धर्मान्तरण कराते रहते हैं.
4. सुखाड़, अकाल, महामारी और भूकम्प आदि प्राकृतिक आपदा के समय धर्म के ठेकेदार अपनी संस्थाओं के माध्यम से पीड़ितों को मदद के बहाने धर्मान्तरण कराते रहते है. इतिहास साक्षी है कि ऐसी विकट मानवीय संकट के बाद जन-संख्या में धार्मिक आधार पर आते रहे हैं.
नोट:- यह आलेख सुनी-सुनायी बातों पर आधारित है. इन बातों पर मुझे भी विश्वास नहीं होता। अब Twitter पर वैसे भी लोग आने लगे हैं जो या तो स्वयं दूर-दराज के  ग्रामीण इलाकों से परिचित हैं या उन इलाकों में जिनके सम्पर्क-सूत्र हैं. ऐसे लोगों से अनुरोध है कि इस आलेख पर अपनी टिप्पणी अवश्य करें ताकि इन्हे गलत पाये जाने पर इस आलेख को Delete किया जा सके.   

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