आजकल के शूद्र कौन है?

 शूद्र कौन है?

मेरी समझ से ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य नहीं हैं वे सभी शुद्र हैं। उदाहरणार्थ ज्ञान और जानकारी के आधार पर कार्य करने वाले बुद्धिजीवी शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, पत्रकार, वकील, लेखक, नेता, आदि ब्राह्मण हैं। हमारी सेना, अर्द्ध सैनिक बल और पुलिस के लोग क्षत्रिय हुए। इसी तरह व्यापार, उत्पादन और कृषि करने वाले वैश्य हुए।

अब जो इन तीनों समूह में नहीं आते वे शूद्र की श्रेणी में होने चाहिये। जो बच गये जैसे सेवा क्षेत्र में कार्यरत लोग अर्थात कंपाउंडर, मिस्त्री, सभी तरह के वाहन चालक, पुजारी, श्रमिक आदि शूद्र हुए। शूद्र और क्षुद्र में भी पर्याप्त अंतर है।

हमारे देश की सभ्यता विकसित हुई तब तत्कालीन बुद्धिजीवियों को सभ्य लोगों के बीच उनके कार्यों का बंटवारा किया गया। उनके कार्यों का बंटवारा का आधार कर्म बना। समाज के लोगों को चार समूह में बांटा गया और यह व्यवस्था वर्णव्यवस्था के रूप में प्रचलित हुआ। यही वर्णव्यवस्था हमारे समाज को हजारों वर्षों तक अराजकता से दूर रखा। यह व्यवस्था कभी भी वंशानुगत नहीं रही।

जब हमारे देश पर मुस्लिम शासकों का प्रभाव बढ़ा तब उन्होंने हमारे समाज को बांटने के लिये प्रचलित वर्णव्यवस्था को अनुवांशिक बना दिया। अंग्रेजों ने मुस्लिम शासकों के "फूट डालो और राज करो की नीति को और मजबूत करने हेतु वर्णव्यवस्था को अनुवांशिक बना दिया।

अब समय आ गया है कि उस वर्णव्यस्था को अनुवांशिक से लोगों के कर्म के अनुसार बनाया जाये। इसमें अनुवाशिकता का लाभ उठाने वाले अपने क्षुद्र स्वार्थ की पूर्ति हेतु विरोध करेंगे ही। हमें समझना होगा कि आजकल के शूद्र कौन हैं। किसी भी दृष्टिकोण से हमारे समाज में वर्णित सूचित और अनुसूचित जाति के लोग वर्णव्यवस्था वाले शूद्र नहीं हैं। शूद्र शब्द और क्षुद्र शब्द में प्रयाप्त अंतर है। इन विषयों पर निरंतर चर्चा होनी चाहिये।

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