यूक्रेन युद्ध का पंद्रहवां महीना

 आज यूक्रेन युद्ध अपने पंद्रहवें माह में प्रवेश कर गया। इतने लम्बे समय तक एक महाशक्ति रूस के समक्ष यूक्रेन के टिके रहने के कारण तो सभी बता देते हैं लेकिन इतनी व्यापक क्षति के बाद भी यूक्रेनी अपनी जान क्यों दे रहे हैं इसका उत्तर कोई नहीं देता। चूंकि प्रति सप्ताह सैंकड़ों की संख्या में यूक्रेनी युद्ध की बलि वेदी पर चढ़ रहे हैं, जख्मी हो रहे हैं तो ऐसे बलिदान के पीछे उनका कोई न कोई यथोचित कारण होगा। समय बीतने के साथ वह कारण भी हमलोग जान ही जायेंगे।

यूक्रेन का विनाश तो जग जाहिर है। थोड़ा हम रूस के बारे में समझने की चेष्टा करते हैं। विश्व अर्थव्यवस्था के प्रसिद्ध यूट्यूबर Joe Blogs के अनुसार इस वर्ष के प्रथम तिमाही में युद्धरत रूस की अर्थ व्यवस्था गिरावट पर है। उनके अनुसार रूस के पास युद्ध पूर्व संचित निधि $150 अरब डॉलर थी जिसमे गत वर्ष कुछ वृद्धि हुई थी। गत तिमाही में उसके निर्यात के तेल और गैस की आय में 45% की कमी आई है।

जिस तरह से इस वर्ष के प्रथम तिमाही में उसकी संचित निधि से धन की निकासी हो रही है उस दर इस वर्ष के अंत तक उसकी संचित निधि समाप्त हो सकती है। यह सब यूक्रेन युद्ध के तत्काल बाद लगे आर्थिक प्रतिबंधों के कारण हो रहा है। एक तरह से रूसी अर्थ व्यवस्था अपने पतन के मार्ग पर है। यद्यपि कि युद्ध की यह स्वाभाविक परिणाम है। उक्त आंकड़े विश्वसनीय नहीं लगते लेकिन रूस की ओर से इसका खण्डन नहीं हुआ है अतः इसे एकदम से गलत भी नहीं कहा जा सकता है।

याहू फाइनेंस के उपरोक्त चार्ट देखने से स्पष्ट है कि दुनिया अब बगैर रूसी प्राकृतिक गैस के भी चल सकती है। अभी प्राकृतिक गैस का अंतरराष्ट्रीय मूल्य विगत पांच वर्षों के निम्न स्तर पर चल रहा है। रूस को अपने प्राकृतिक गैस पर नाज था। और हो भी क्यों न। पूरा यूरोप की अर्थव्यवस्था रूसी गैस पर चल रही थी। अब यूरोप की स्थिति बदल रही है। इस परिदृश्य की कल्पना भी युद्ध पूर्व करना कठिन था। 

अभी भी दुनिया रूसी क्रूड ऑयल, डीजल, पेट्रोल, निकेल, यूरेनियम, एल्यूमीनियम, खाद, गेहूं, खाद्य तेल आदि पर बहुत आश्रित है। अर्थात यूक्रेन युद्ध रोकना विश्व शांति और अर्थ व्यवस्था के लिए अति आवश्यक है। इस युद्ध को रोकना रूस के लिए भी उतना ही आवश्यक है जितना हमारे देश भारत के लिये। 

अब तो इस बात का भी डर है कि यूक्रेन युद्ध की लपट यूक्रेन की सीमा से आगे न बढ़ जाये? यदि ऐसा हुआ तो रूस से आने वाली उक्त वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हो सकती है। उस आपूर्ति बाधा का दुष्परिणाम हमारे देश के लिए कष्टदायक हो सकता है। यूक्रेन युद्ध रुकने में ही हम भारत वासियों का कल्याण है।

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