एक अलग प्रकार का चुनाव प्रचार
चुनाव के समय एक नेताजी अधिक से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण कर रहे थे।
एक गांव में नेताजी पंहुचे। कुछ ही देर में उनके पास पच्चीस तीस लोग जमा हो गए।
नेताजी ने कहा: जल्दी से इस गांव की दो प्रमुख समस्या बताओ।
एक ग्रामीण ने बताया कि इस गांव में अस्पताल तो है लेकिन कोई डॉक्टर साहब नहीं आते हैं।
नेताजी ने झट से फोन लगाया और किसी से कुछ बतियाया।
नेताजी बोले काम हो गया अगले सप्ताह से डॉक्टर साहब आने लगेंगे।
सभी ग्रामीण खुशी से झूम उठे और वादा किए कि इस गांव का सब वोट आप ही को मिलेगा।
नेताजी ने झट से दूसरी प्रमुख समस्या पूछी।
लोगों ने बताया कि कुछ महीनों से इस गांव के बगल में टावर रहने के बावजूद नेटवर्क नहीं आता है।
नेताजी ने झट से जवाब दिया कि इसका भी समाधान हो जायेगा। ग्रामीण खुशी से झूम उठे।
नेताजी दूसरे गांव में प्रचार में निकल गए। और फिर नए गांव में भी वही गांव की प्रमुख समस्या। यह सिलसिला कई दर्जन पिछड़े गांवों में चला।
चुनाव में वह नेताजी उन गांवों के वोटों से जीत गए।
अब ग्रामीण माथापच्ची कर रहे हैं कि जब इस गांव में फोन का नेटवर्क ही नहीं है तो नेताजी डॉक्टर साहेब हेतु बात कैसे कर रहे थे?
कुछ डेढ़ सयाने बताते हैं चुनाव छल से भी, झूठे वादों से भी जीते जाते रहे हैं। "अब पछतावे होत क्या जब चिड़ियां चुग गई खेत।"
ReplyDelete