हमारी अर्थ-व्यवस्था पर सोना का प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रभाव

     एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में लगभग बीस हज़ार टन सोना है. इनमे से अधिकतर सोना लोगों के पास गहनों एवं सोने के बिस्कुट  के रूप में जमा है. हमारे मन्दिरों में भी चढ़ावे के रूप में मिला बहुत सोना है. कई मन्दिरों में तो देवी-देवताओं की मूर्तियां भी सोने की बनी हुई है. पूर्व ज़माने में राजा अपने राज-मुकुट और राज-सिंहासन भी सोना के ही बनवाते थे. महिलाये सोने के प्रति ज्यादा आसक्त होती हैं. सोने के गहनों के बिना महिलाओं का श्रृंगार भी अधूरा रहता है. यानि हमारे यहाँ सोना समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
     दुनिया में सबसे ज्यादा विकास सोने की खोज और दीर्घायु बनाने हेतु औषधि की खोज में ही हुई है. इन दोनों प्रयासों में विज्ञानं का बहुत विकास हुआ है. प्राचीन काल में अपने देश में नागार्जुन ने सोने की खोज में अपना जीवन लगा दिया। बाद में पता चला कि सोना तो एक रासायनिक तत्व Au है. यह एक गैर रेडियो धर्मी तत्व है यानि न तो इसे बनाया जा सकता है और न इसे नष्ट किया जा सकता है. सोना प्राकृतिक रूप से कुछ नदियों की रेत और खदानों में मिलता है, जिसे साफ कर और ढाल कर सोने के ईंट या बिस्कुट के रूप में संग्रह किया जाता है. पुनः उनसे आभूषण, देवी-देवताओं की मूर्तियां, मेडल आदि तैयार किये जाते हैं. सोना का औद्योगिक उपयोग भी बड़े पैमाने पर होता है.
     सोने की चमक सबको लुभाता है. यह बिजली का अच्छा सुचालक है. यह वायु के ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया कर अपनी चमक नहीं खोता है. इससे पतला तार बनाया जा सकता है. इसका पतला से पतला तार भी मजबूत होता है. इन्ही सब गुणों के कारण सदियों से इसे सबसे बहुमूल्य धातु माना जाता है.
    हमारी अर्थ व्यवस्था पर सोने का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अनुकूल और प्रतिकूल दोनों तरह का प्रभाव पड़ता है---

प्रत्यक्ष प्रभाव:-

जिस परिवार या जिस देश में जितना सोना होता है उसे उतना ही धनी और मजबूत माना जाता है. 
1. भले ही ATM का युग आ गया हो, लेकिन आज भी हमारे देश की बड़ी आबादी संकट में धन प्राप्त करने के लिये सोना का ही उपयोग करता है. सोने की लिक्विडिटी अधिक होने के कारण ATM से दूर लोग अपने सोने के गहनों को लेकर सुनारों के पास ही जाते हैं और तुरंत सोना के बदले उन्हें नगद दे देते हैं. कुछ लालची सोनार उनकी परिस्थिति का नाजायज लाभ उठाकर सोना में काफी बट्टा भी काटते हैं. फिरभी गहना धारक इसीलिए खुश रहता है कि सोनार मिठाई या कोल्ड ड्रिंक भी पिलाता है और जल्दी पैसा भी दे देता है.
2. जिस देश में सोना अधिक होता है उस देश में प्राकृतिक रूप से मुद्रा स्फीति कम रहती है. अधिक सोना वाले देश में अधिक मुद्रा स्फीति सरकार के गलत आर्थिक नीतियों का परिणाम माना जाता है.
3. सोना का औद्योगिक उपयोग भी बड़े पैमाने पर होता है क्योंकि सोना विद्युत का बढ़िया सुचालक होता है. सोना का सबसे ज्यादा औद्योगिक उपयोग इलेक्ट्रॉनिक और विद्युत उपकरण में होता है. अगर देश में अधिक सोना होगा तो देश में सोना युक्त सामानों का अधिक उत्पादन और उसका निर्यात होगा। इससे देश की आर्थिक प्रगति भी तेज और स्थिर गति से होते रहती है; रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं.
4. जिस देश के पास अधिक सोना होता है उसे देशी-विदेशी कर्ज आसानी से मिल जाते हैं. 
परोक्ष प्रभाव:- 
1. काला-धन को बढ़ावा देता है:- हमारे देश में बहुत से लोग सोना को जमीन में गाड़कर या अन्य तरीकों से सोना को सदियों से छिपाकर रखते चले आ रहे हैं. छिपाया हुआ सोना किसी व्यक्ति विशेष की तो सम्पत्ति होती है, लेकिन समाज के लिये वह एक निष्क्रिय धन होता है. ऐसा निष्क्रिय धन देश की आर्थिक प्रगति में सहायक नहीं होता है. जिन लोगों के पास काला धन अधिक होता है वे लोग प्रायः डरे हुए होते हैं और देश मजबूत सरकार नहीं चाहते। जब देश का नेतृत्व देश हित में कोई कड़ा फैसला लेता है तो ऐसे काला धन धारक सरकार के लिये तरह-तरह परेशानी पैदा करते रहते हैं.  
2. सोना आपसी कलह, अपराध और हिंसा को बढ़ावा देता है:-                     

     एक खबर आयी थी कि चीन बहुत बड़ी मात्रा में विश्व बाजार से सोना खरीद रहा है और अब यह भी खबर आ रही है कि चीन सोने के उत्खनन में $16 अरब से ज्यादा निवेश भी करने जा रहा है. यह भी गौर करने योग्य बात है कि गहनों का शौक चीनियों को नहीं है. विनिर्माण क्षेत्र में चीन विश्व भर में अपना लोहा मनवा चुका है. हालां कि चीनी सामानों की गुणवत्ता हमारे देश में संदिग्ध है लेकिन हमारे स्थानीय सुनारों की भी विश्वसनीयता ऊँचे दर्जे की नहीं है. चीन हमारी सीमाओं पर बड़े पैमाने पर रेल लाइन भी बिछा रहा है यानि चीनी सामानों की भरमार हमारी सीमाओं पर हो सकती है. चीन अपने विनिर्माण क्षेत्र में Robotics Engineering का भी इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कर रहा है. ऐसे में नकली और असली दोनों सोने के चीन में बने गहने सस्ते होने के कारण हमारे बाज़ारों में छा सकते हैं. इससे हमारे सोनारों में बेरोजगारी बढ़ सकती है. ऐसी स्थिति में हमारी अर्थ-व्यवस्था पर सोने का प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की सम्भावना है.
Gold Recycling.
     International Gold Council अपने Website पर सोने से सम्बंधित आवश्यक जानकारियों को अद्यतन करते रहता है.  यहाँ से भी सोना से सम्बंधित जानकारियों को प्राप्त की जा सकती है. सोने का हमारी अर्थ-व्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि सोना धारक और हमारी सरकार सोना के बारे में कितना जागरूक है और सोने की सुरक्षा में कितना सक्षम है.
सोना के आद्योगिक एवम अन्य उपयोगिताओं को विस्तार से पढ़ने हेतु Uses of Gold पर क्लिक करें।
     वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने चाँदी और कुछ दुर्लभ धातुओं को मिलाकर Silver MaxPhase का अविष्कार किया है. Silver MaxPhase  ने इसे सोना का एक मजबूत प्रतिद्वन्द्वी बना दिया है. अब यह मिश्र-धातु सोना का एक अच्छा विकल्प साबित हो रहा है और इसका उपयोग बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक और रोबोट उद्योग में हो रहा है. इसके अलावे नैनो टेक्नोलॉजी का विकास और ग्रैफीन की बढ़ती लोकप्रियता भी सोने के औद्योगिक उपयोगिता को कम कर रहा है.  पहले की तुलना में सोना की माँग इलेक्ट्रॉनिक और रोबोट उद्योग में कम हो रहा है। फिरभी इतिहास साक्षी है कि जब-जब आर्थिक मंदी या उच्च मुद्रास्फीति तथा शेयर बाजार के कमजोर होने के हालात बने हैं तब-तब पैसे वालों ने बैंकिंग व्यवस्था पर विश्वास करने के बजाय सोना पर ही अधिक भरोसा किये हैं.
प्रतिदिन के सोना का भाव दर्शाने वाला चार्ट
सोना का भाव दर्शाने वाले पञ्च वर्षीय चार्ट
नोट:- मैं कोई आर्थिक विशेषज्ञ नहीं हूँ. एक ट्विटर मित्र के विशेष आग्रह पर इस विषय से सम्बन्धित जानकारियों को open source से एकत्रित कर मैंने इन जानकारियों को संकलित कर एक लेख के रूप में आप सब के सामने प्रस्तुत की है. पाठकों की टिप्पणियों का हमेशा स्वागत रहेगा।
https://twitter.com/BishwaNathSingh
    

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