उपनाम लिखने की परम्परा

एक प्रश्न और जिज्ञासा बहुत दिनों से समाज में चल रहा है कि आखिर हमारे देश में उपनाम लगाने या लिखने का आरम्भ कब से हुआ? समय समय पर पूर्व में भी यह प्रश्न लोगों के मन में उठते रहा है। बड़ों से मुझे जो जानकारी मिली है उसके अनुसार उपनाम लिखने की परम्परा रोमन साम्राज्य से प्रारम्भ हुआ। पहले तो श्री राम, श्री कृष्ण, महावीर, सिद्धार्थ, बाल्मीकि, धनवंतरी आदि के नामों में तो उपनाम हैं ही नहीं।

                          श्रीराम

यह सर्वविदित है कि जिस काल में रोमन साम्राज्य का पतन हो रहा था उसी काल में इस्लामिक साम्राज्य का उत्थान हुआ। उपनाम लिखने की परम्परा इस्लाम के विस्तार के क्रम में भारत आया। मुस्लिम राजाओं ने ही हमारे देश के लोगों को कोई न कोई उपनाम देना प्रारम्भ किया। तब नाम में दो शब्द होने लगे। समय आगे बढ़ा और नाम में तीसरा शब्द भी जुड़ने लगा। आज भी केरल, गुजरात और महाराष्ट्र आदि राज्यों में पहले अपना नाम फिर पिता का नाम और अंत में उनके गांव का नाम। उत्तर भारत में तो आर्थिक सामाजिक हैसियत के अनुसार चार शब्दों के नाम का भी प्रचलन है।

उन राज्यों में महिलायें अपने विवाह के बाद अपने पिता के स्थान पर अपने पति का नाम लिखती हैं। उत्तर भारत बहुत सी महिलायें अपने उपनाम के साथ साथ अपने पति का उपनाम भी लिखती हैं।

उपनाम लिखने की परम्परा दासता, गुलामी या Slavery से भी जुड़ी हुई है। गुलामों के मालिक गुलाम को एक नया नाम दे देते थे और उसके जनजातीय समाज के नाम को उसका उपनाम। भले ही दास प्रथा(Salavery) अब समाप्त हो गई हो लेकिन उपनाम की प्रथा आज भी प्रचलन में है।

जापान में तो निवास स्थान ही उपनाम हो गया। जैसे नदी किनारे वाला, नदी के उस पार वाला, पहाड़ के नीचे वाला, पहाड़ के उस पार वाला, समुद्र तट वाला आदि। जब मैं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पढ़ता था तो मुझे एक गुरुजी मेरे गांव के विशेषण से मुझे संबोधित करते थे। कहीं कहीं कुछ लोगों में अपने नाम और उपनाम के बाद अपने गांव या क्षेत्र का नाम भी जोड़ते हैं। यद्यपि कि अधिकांश जापानी अब शहरों में रहने लगे हैं लेकिन वे अपने पूर्वजों की पहचान बनाये रखते हैं।

जापानियों के उपनाम के कुछ उदाहरण - Tanaka= खेतों के बीच रहने वाला, Kawamura= नदी के पास के गांव के रहने वाला, Kishida= तट के खेतवाला, Uvaida= ऊपरी खेत वाला, Ishiga= पथरीली नदी के पास वाला Yamashila=  पहाड़ों के नीचे वाला आदि।

विश्वनाथ सिंह 🙏

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