सुने-सुनाये चुटकुले जो जीवन की कुछ सच्चाई दर्शाते हों

बहुतों ने इन चुटकलों को जरूर सुना होगा, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग होंगे जो जिनको इन्हे सुनने का मौका ही नहीं मिला। इन्ही लोगों के लिये ये चुटकुले यहाँ प्रस्तुत है:-
1. जब भगवान ने सभी प्राणियों का सृजन किया तो प्रायः बड़े प्राणियों की उम्र पच्चीस वर्ष निर्धारित कर दी तथा उनके कार्यों का निर्धारण भी कर दिया। एक युग बाद भगवानजी को लगा कि कुछ प्राणियों से पूछ लिया जाय कि वे उम्र निर्धारण से सन्तुष्ट हैं या नहीं।
    सबसे पहले घोड़ा को बुलाया गया और उनका मन्तव्य इस सम्बन्ध में पूछा गया. घोड़ा ने अदब से जवाब दिया और बोला कि उसे आदमी को बैठाकर दौड़ते हुए उसे ढोना पड़ता है या सामान को खींचना पड़ता है.  इसलिये वह पच्चीस वर्ष के उम्र से सन्तुष्ट नहीं है. उसने भगवानजी से प्रार्थना की कि इनका उम्र दस वर्ष कम कर दी जाय.
    इसके बाद बैल को बुलाया गया. उसने बताया कि भले ही उसे धीरे-धीरे बोझ ढोना पड़ता है और बिना मतलब के गाड़ीवान या व्यापारी पीटते रहता है. साथ ही बैल ने यह भी शिकायत की कि हलवाहा हल जोतते समय अपने भी पसीने-पसीने होते रहता है और अपना खीझ मिटाते हुए अनावश्यक रूप से अरउआ से मारते रहता है. इतने ज्यादा दिनों तक बोझ ढोना और हल जोतते हुए पिटाते रहना ठीक नहीं है. इसने भी अपनी उम्र दस वर्ष कम करने और हलवाहा से कुछ देर मुक्ति पाकर आराम दिलाने की प्रार्थना की.
    इसके बाद गदहा को बुलाया गया. उसने भी बताया कि भले ही उसे भी धीरे-धीरे बोझ ढोना पड़ता हो पर मालिक इनको खाना नहीं देता और इन्हे इधर-उधर चर के अपना पेट भरना पड़ता है और इनपर बोझ लादने की भी सीमा नहीं है. इतने ज्यादा दिनों तक ज्यादा बोझ ढोना ठीक नहीं है और इसने भी अपनी उम्र दस वर्ष कम करने की प्रार्थना की.
    अब नम्बर आया भैंसा का. आदिवासी बहुल जंगली-पहाड़ी क्षेत्रों में हलकी जुताई गाय से, मध्यम जुताई बाई बैल से और गहरी जुताई भैंसा से की जाती है. भैंसा ने बताया की लम्बी उम्र से यह दुःखी है और अपनी दस कम करने की प्रार्थना की.
    अगला नम्बर कुत्ता का आया. इसने अपनी ब्यथा सुनाते हुए बताया कि इसे कुछ अंतरालों पर भौंकना पड़ता है. इसका दुःख तब और बढ़ जाता है जब भौंकने पर इसके अपने मालिक और उसके आदमी भी डांटने लगते हैं. इसने अपनी उम्र पन्द्रह साल कम करने की प्रार्थना की.
    अन्त में दो टांग वाले प्राणी को बुलाया गया. अभी तक दो टांग वाले प्राणी का नामकरण नहीं हुआ था. उसने बताया की मुझे तो जवान होने में ही 17-18 लग जाता है. इस कारण मुझे जीवन का पूरा सुख नहीं मिल पाता। इस प्राणी ने अपनी उम्र एक सौ साल करने की माँग की.
    भगवानजी ने सबको एक साथ बुला कर अपना फैसला सुना दिया। ऊपर के सभी जानवरों का उम्र उनके प्रार्थनानुसार कम कर दिये गये और उम्र को उसी क्रम में दो टांग वाले प्राणी के उम्र में जोड़ दिया। भगवानजी ने दो टांग वाले प्राणी को बताया कि अपने बच्चों को कमाने लायक शिक्षा दो; उन्हें संस्कारी बनाओ हो सकता है कि तुम्हारे बच्चे अच्छी तरह से देख भाल कर्रें। ऐसी स्थिति में तुम्हारी उम्र सौ साल भी हो सकती है. भगवानजी ने उस दो टांग वाले प्राणी का नामकरण आदमी के रूप में किया और आदमी को परभाषित भी कर दिया। वह प्राणी है, जो सोचता है; शायद ही कभी प्राप्त संसाधनों से सन्तुष्ट रहता हो और अपनी मौत से डरता है, अब से आदमी कहलायेगा.
     भगवानजी ने बैल की दूसरी प्रार्थना को भी स्वीकारते हुए उसके गर्दन में एक रस्सी से हलके से एक पुरिया बंधवा दी और उसे निर्देश दिया कि "इस पुरिया को सम्हाल कर ले जाओ और खेत जोतते समय खूब जोर से गर्दन झटक देना जिससे पुरिया का बीज खेत में गिर जायेगा। कुछ महीनों के बाद यह बीज बड़े-बड़े पत्तों वाला पौधा बन जायेगा लेकिन स्वयं उन पत्तों को मत खाना।"
     बैल ने वैसा ही किया। कुछ महीने महीने बाद बैल द्वारा छिड़के जगह पर बड़े-बड़े पत्तों वाला पौधा उग आया जो कालान्तर में खैनी कहलाया। जब हलवाहा को खैनी खाने का मन करता तो वह हल जोतना छोड़कर खैनी लगाकर खाता तबतक बैल को आराम मिल जाता। आराम पाकर सभी बैल खुश रहने लगे.     
श्रुति सम्मत बातों पर आधारित। रचनाकार:- गुमनाम।
2. पी-एच डी की डिग्री:- यह उस समय का चुटकुला है जब एक काल्पनिक देश के विदेश मन्त्री ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को एक टास्क दिया कि दुनिया भर के देशों के पी.एच.डी डिग्रीधारियों और जो विद्यार्थी अभी पी.एच.डी कर रहे हैं की एक सूची बनावें। मन्त्री महोदय का मानना था कि जिस देश में ज्यादा पी.एच.डी डिग्रीधारी होंगे पच्चीस साल बाद वह देश आर्थिक रूप से बहुत ताकतवर होगा और अभी से हमें उस देश से सम्बन्ध सुधारने के प्रयास करने होंगे।
अधिकरियों ने बड़ी मेहनत कर वैसी सूची बनायीं। उस सूची में भारत का नम्बर सबसे ऊपर आ गया. उस सूची को मन्त्री महोदय ने ध्यान से देखा और भारत से सम्बन्ध सुधारने हेतु उचित कार्यवाही करने हेतु एक प्रस्ताव बनाकर अपने राष्ट्रपति महोदय के पास पँहुच गये.
वह राष्ट्रपति महोदय भारत को बहुत महत्व नहीं देते थे. सो उन्होंने अपने ख़ुफ़िया विभाग को इतने बड़े पैमाने पर पी.एच.डी डिग्री प्राप्त करने के कारणों का पता लगाने का निर्देश दिया। ख़ुफ़िया विभाग ने अपने गुप्तचरों के माध्यम से उचित जानकारियों का संकलन किया। उचित विश्लेषण के बाद राष्ट्रपति ने उस रिपोर्ट को अपने मन्त्री महोदय पास अपने प्रस्ताव पर पुनः विचार करने को भेज दिया।
रिपोर्ट पढ़कर मन्त्री महोदय चकित रह गये. उस रिपोर्ट में लिखा था कि भारत में करीब दो तिहाई पी.एच.डी डिग्रीधारी पैसे के बल पर पी.एच.डी डिग्री प्राप्त करते हैं. पी.एच.डी डिग्री प्राप्त करने वाले को सिर्फ पैसा का प्रबन्ध करना है और किसी गाइड  को सेट करना है. उसके बाद गाइड ही पूर्व के कोई शोध-पत्र का नक़ल कर थोड़ा बहुत कहीं कहीं भाषा में परिवर्तन कर इच्छुक से उसपर हस्ताक्षर करा कर समय पर उसे समर्पित कर देना है और डिग्री पक्की। उस पी.एच.डी डिग्री से डिग्रीधारी की योग्यता का कोई लेना देना नहीं है.
यह कहानी एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने मुझे सुनायी थी. उसने इसी रास्ते से अर्थ-शास्त्र में पी.एच.डी की डिग्री प्राप्त की थी. उसने बताया कि वह एक पदाधिकारी का इकलौता बेटा है. वह लाड़-प्यार में पला था लेकिन कुसंगति में पड़ जाने के कारण वह ज्यादा पढ़ नहीं पाया। बाद में उसके पिताजी की इज़्ज़त की बात हो गयी और उन्होंने अपने पैसे और सेटिंग के बल पर उसके लिये बी.ए, एम.ए और पी.एच.डी डिग्री का प्रबन्ध कर दिया। उसके बाद एक हादसा हो गयी. किसी ने दुश्मनीबश उसके पिताजी को निगरानी विभाग से पकड़वा दिया। उसके बाद उनके घर से लक्ष्मीजी रूठ गयीं। वह अर्थ-शास्त्र में पी.एच.डी डिग्रीधारी व्यक्ति अपने किश्मत को दोष देने लगा और बताया कि उसके दुश्मन नहीं लगते तो उसे भी इस पी.एच.डी डिग्री और पैसे के बल पर कोई अच्छी नौकरी मिल जाती और उसकी जिन्दगी भी पाँच सितारा होती। उसने आगे बताया कि 2009 के बाद यह स्थिति बदल गयी है और अब तो पी.एच.डी डिग्री प्राप्त करने हेतु NET पास करना पड़ता है और Plagiarism (साहित्य की चोरी) पकड़ने वाला सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भी शोध-पत्रों की जाँच हेतु किया जाता है.          
नोट:- जिन पाठकों को यह बकवास लगता है, मैं उनसे क्षमा चाहता हूँ और उनसे कहना चाहता हूँ कि यह चुटकुला पूर्ण रूप से बकवास ही है और इसका उद्देश्य थोड़ी देर के लिये हंसाने के अलावा और कुछ नहीं है.
https://twitter.com/BishwaNathSingh   

Comments

  1. Perhaps I could not get some jokes as they are incomplete I think

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