Name & Surname(Title) और उससे जुड़े कुछ किस्से; कुछ परम्परायें

    पुराने ज़माने में लोगों के नाम छोटे और प्रायः एक ही शब्द के होते थे. जैसे राम, कृष्ण, चाणक्य, अरस्तु, सुकरात, सिकन्दर, अशोक, शिवाजी, गैलिलियो आदि.  हमारे जितने भी महाग्रंथ हैं उनमे भी स्त्री हो या पुरुष सबके नाम एक ही शब्द के मिलते हैं. पुरातन इतिहास में भी प्रायः सभी नाम एक ही शब्द के मिलते हैं. सभ्यता के विकास के क्रम में कुछ लोगों में अपने ही समाज के और लोगों से अलग दिखने की मानसिकता बनने लगी. वैसे लोगों ने अपने पूर्वजों की कुछ विशेषताओं को अपने नाम के बाद लगाने लगे. उनके वंशजों ने इस विचार को आगे बढ़ाया और धीरे-धीरे नाम के बाद उपनाम या Title जोड़ने की परम्परा बन गयी. यहाँ उपनाम का आशय उपाधि से नहीं है जो नाम के आगे या पीछे जोड़ा जाता है. उपाधि तो व्यक्ति के मृत्यु के बाद ही समाप्त होने लगती है जबकि उपनाम पीढ़ी दर पीढ़ी आगे चलती रहती है.
    लोगों ने अपने नाम के बाद टाइटल कब और कैसे लगाना प्रारम्भ किया इस सम्बन्ध में तरह-तरह की किम्वदंतियां सुनायी देती हैं. उन्ही किम्वदन्तियों में से कुछ का उल्लेख यहाँ किया जा रहा है. कई इलाकों में तो नाम रखने की भी कुछ विशेष परम्परा है.
1. झारखण्ड के चाईबासा के कई भागों में पहला बेटा का नाम उसके दादा का नाम ही रखा जाता है. उसी तरह अगर पहली संतान बेटी हुई तो उसका नाम वही रखा जायेगा जो नाम उसकी नानी का है. अगर उसके दादा या नानी जीवित हों तो उसे छोटे या छोटी + नाम से पुकारते हैं . यहाँ के लोग अपने गोत्र(किल्ली) को अपने उपनाम के रूप में जोड़ देते हैं. यहाँ के लोगों में एक ही किल्ली में विवाह करना वर्जित है. वे लोग इस परम्परा को अभी भी ख़ुशी-ख़ुशी आगे बढ़ा रहे हैं.
2. बिहार और उत्तर प्रदेश के अधिकांश भागों में जन्म के बाद घर का मुखिया अपने पण्डितजी के यहाँ जाते हैं जो बच्चे के ग्रह-दशा की गणना कर बच्चे की राशि बता देते हैं और राशि के हिसाब से दो-तीन अक्षर भी बता देते हैं. परिवार के लोग इन अक्षरों से प्रारम्भ होने कोई अच्छा सा नाम रख देते हैं.
3. कई इलाकों में जन्म के बाद एक नामकरण का उत्सव होता है और उसी उत्सव में बच्चे का नामकरण कर दिया जाता है.
4. एक बार तो एक राजा उपनाम की बढ़ती संख्या से परेशान होकर उपनाम को उसकी सार्थकता के साथ निबन्धित कराने का फरमान जारी कर दिया और इसके लिये प्रजा को बहुत कम समय दिया गया. लोगों ने अपने समुदाय में ही गहन विचार-विमर्श कर निर्धारित समय पर अपने अपने परिवार, समाज और समुदाय हेतु उपनाम निबन्धित करा लिया। जैसे अमुक नदी के बगल वाला, अमुक पहाड़ के नीचे वाला, अमुक पहाड़ के ऊपर वाला, समुद्र के किनारे वाला, अमुक गांव वाला के किनारे वाला, अमुक गांव के बीच वाला आदि. यह परम्परा पूर्वी एशिया के कुछ देशों में आज भी प्रचलित है.
उदहारण के लिये -- नाकामुरा= गांव के बीच में रहने वाला, यामामोटो = मूल पर्वतवासी, निशिमूरा = गांव के पश्चिम वाला आदि 
5. बहुत से इलाकों में लोग अपने उपनाम के साथ अपने गांव के नाम को भी जोड़ते हैं. यह परम्परा पंजाब में ज्यादा प्रचलित है.
6. बहुत से इलाकों में लोग अपने नाम के बाद अपने अपने पिता का नाम जोड़ते हैं और उसके बाद अपने वंश का उपनाम भी जोड़ते हैं. यह परम्परा महाराष्ट्र और गुजरात में ज्यादा प्रचलित है.
7. बहुत इलाकों में लोग अपने नाम के बाद अपने गांव का नाम + "कर" जोड़ते हैं. यह परम्परा महाराष्ट्र और गोवा के अधिकांश इलाकों में प्रचलित है.
8. बहुत से इलाकों में लोग अपने नाम के बाद अपने पिता का नाम और उसके बाद अपने गांव का नाम लिखते हैं.
9. बहुत से इलाकों में कुछ महिलायें अपने नाम के बाद अपने पति का भी नाम लिखती हैं.
10. बहुत से लोग अपने व्यवसाय को ही अपना उपनाम बना लिये हैं. यह प्रथा पारसी लोगों में ज्यादा प्रचलित है. जैसे:- छातावाला, दारुवाला आदि.
11. प्रसिद्ध वैज्ञानिक कार्ल लिन्न ने जंतुओं और पौधों के नाम रखने की एक विधि अपनायी। उस विधि के अनुसार किसी प्राणी के नाम का पहला शब्द उसकी प्रजाति का द्योतक होगा और दूसरा शब्द उसके species को दर्शायेगा। जैसे होमो सैपियन्स, होमो इरेक्टस आदि. उस वैज्ञानिक ने तो इस विधि को अपनाते हुए अपना नाम भी कैरोलस लीनियस रख लिया था.
    कुल मिलाकर नाम और उपनाम के नामकरण की अनेकों परम्परायें विश्वभर में किसी न किसी रूप में मिल जातीं हैं और लोग अपनी परम्परा का सम्मान भी कर रहे हैं. अधिकतर अभिभावक अपनी नवजात सन्तान का नामकरण इस हिसाब से भी करते हैं कि बच्चे बड़े होकर अपने नाम की सार्थकता को समझेंगे और उसी अनुरूप अपना आचरण करेंगे।
Content Contributors
1. Sh P. Nath, A Sr Citizen
नोट:- इस ब्लॉग का मुख्य उद्देश्य भावी पीढ़ी को कुछ परम्पराओं से अवगत कराना है. इस ब्लॉग की बातों से असहमति रखने वालों से मैं क्षमाप्रार्थी हूँ. पाठक चाहें तो कुछ अन्य परम्परा को अपनी टिपणी के साथ लिख कर भेज सकते हैं.
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